नाबालिग लड़की को प्रवेश दिलाने पर महंत पर गिरी गाज, संत समुदाय ने किया 7 साल के लिए निष्कासित

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शनिवार, 11 जनवरी 2025 (15:51 IST)
Minor girl sent home by Juna Akhara: जूना अखाड़े में हाल ही में संन्यास के लिए शामिल हुई 13 साल की नाबालिग लड़की (minor girl) को नियम विरुद्ध प्रवेश की वजह से अस्वीकार करते हुए शुक्रवार को घर भेज दिया गया और लड़की को संन्यास दिलाने वाले महंत कौशल गिरि (Mahant Kaushal Giri) को 7 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया।
 
अखाड़े में प्रवेश नियम विरुद्ध था :  जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि यह बालिका नाबालिग थी और इसका जूना अखाड़े में प्रवेश नियम विरुद्ध था जिसकी वजह से शुक्रवार को एक बैठक में सर्वसम्मति से इस बालिका को अखाड़े में अस्वीकार करने का निर्णय किया गया। उन्होंने बताया कि नाबालिग बालिका को जूना अखाड़े में प्रवेश दिलाने के लिए महंत कौशल गिरि महाराज को 7 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है।ALSO READ: महाकुंभ में क्या है धर्मध्वजा का महत्व, जानिए किस अखाड़े की कौन सी है पताका
 
बालिका को उसके माता-पिता के साथ घर वापस भेजा : श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि बालिका को उसके माता-पिता के साथ सम्मान सहित उसके घर भेज दिया गया है। जूना अखाड़े के नियम के मुताबिक 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुकी लड़कियों को अखाड़े में प्रवेश दिया जाता है। यदि कोई माता-पिता छोटी आयु के लड़कों को जूना अखाड़े को देता है तो उसे अखाड़े में प्रवेश दिया जाता है।ALSO READ: महाकुंभ प्रयागराज 2025: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन, 13 अखाड़ों के शाही स्नान का अद्भुत दृश्य
 
नाबालिग लड़की को स्वीकार करने पर संतों ने रोष जताया : उन्होंने बताया कि शुक्रवार को जूना अखाड़े की आमसभा में नाबालिग लड़की को अखाड़े में प्रवेश दिलाने के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस बैठक में संरक्षक महंत हरि गिरि, सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि समेत अखाड़े के प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में अखाड़े को सूचित किए बगैर कौशल गिरि द्वारा नाबालिग लड़की को स्वीकार करने पर संतों ने रोष जताया।ALSO READ: महाकुंभ में कौन सा अखाड़ा सबसे पहले करता है स्नान? जानिए अंग्रेजों के समय से चली आ रही परंपरा का इतिहास
 
प्राप्त जानकारी के अनुसार महाकुंभ में गुरु की सेवा में अपने मां-पिता के साथ आई 13 वर्षीय राखी सिंह के मन में अचानक वैराग्य जागा और उसने माता-पिता से साध्वी बनने की इच्छा व्यक्त की थी। माता-पिता ने बेटी की इच्छा को प्रभु की इच्छा मानकर उसे जूना अखाड़े को सौंप दिया था। महंत कौशल गिरि ने उसे नया नाम गौरी गिरि दिया था। लड़की की मां रीमा सिंह ने बताया था कि जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि महाराज पिछले 3 साल से उनके गांव में भागवत कथा सुनाने आ रहे हैं और वहीं उनकी 13 वर्षीय बेटी ने उनसे दीक्षा ली थी।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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