जालंधर। पंजाब में विधानसभा चुनावों के लिए शनिवार को होने वाले मतदान में कांग्रेस के पास जालंधर में खोने के लिए कुछ भी नहीं है, क्योंकि कभी कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले इस जिले की 9 सीटों में कांग्रेस पिछले चुनाव में सभी सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। उससे पिछले चुनाव में भी पार्टी बड़ी मुश्किल से केवल 1 सीट जीत पाई थी।
पिछले 2 विधानसभा चुनावों- वर्ष 2007 और वर्ष 2012 में कांग्रेस के कई दिग्गज उम्मीदवार जिले में चुनाव हार गए थे जिससे पार्टी का जनाधार खिसकता चला गया, हालांकि पिछले 10 साल में 2 बार लोकसभा के चुनाव हुए और दोनों ही चुनावों में जालंधर की जनता ने कांग्रेस में भरोसा जताया लेकिन विधानसभा चुनावों में वह सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ ही रहे।
मौजूदा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर से नए, पुराने और युवा उम्मीदवारों के साथ पूरे जोश के साथ मैदान में उतरी है और सत्तारूढ़ गठबंधन को चुनौती देने के लिए तैयार है। लेकिन पिछले चुनावों की तरह इस बार भी कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं है, क्योंकि आम चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी भी तीसरे विकल्प के तौर पर कमर कस चुकी है।