1. पायलट-गहलोत की तनातनी : सचिन पायलट और अशोक गहलोत की लड़ाई तो पूरे देश में चर्चा का मुद्दा रही, दोनों नेता काम छोड़कर आपसी लड़ाई पर ज्यादा फोकस करते दिखे। सरकार बनते ही दोनों के बीच खींचतान शुरू हुई तो खत्म होने का नाम नहीं लिया। कई बार आलाकमान ने दोनों को मनाने की कोशिश की, यहां तक कि राहुल गांधी ने खुद चुनाव प्रचार के दौरान दोनों को एक साथ मंच पर लाकर ये संदेश देने की कोशिश की कि पार्टी में सबकुछ ठीक है, लेकिन दोनों के दिल नहीं मिले।
2. पेपर लीक मामला : राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं का पेपर लीक मामला गहलोत सरकार पर भारी पड़ा। भाजपा ने चुनाव के दौरान इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस को खूब घेरा। पेपर लीक को लेकर गहलोत को युवाओं के गुस्से का शिकार होना पड़ा। पिछले पांच साल के गहलोत कार्यकाल में कई परीक्षाओं के पेपर लीक के मामले सामने आए, जिसको लेकर बीजेपी ने गहलोत पर एक्शन ना लेने का आरोप भी लगाया। पूरा मामला गहलोत सरकार के लिए भारी पड़ा।
3. पार्टी की आपसी कलह : राजस्थान में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण पार्टी की आपसी कलह रही। कई नेता नाराज हुए, लेकिन गहलोत ने उन्हें सही तरीके से हैंडल नहीं किया। पार्टी के अंदर गुटबाजी और कई बागी नेताओं ने पार्टी का खेल बिगाड़ा। यहां तक कि कई नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ा तो कुछ को भाजपा ने अपने पाले में कर लिया।
4. कानून-व्यवस्था : राजस्थान के चुनाव में लॉ एंड ऑर्डर भी महत्वपूर्ण मुद्दा रहा। महिलाओं के खिलाफ अपराध की कई घटनाएं सामने आईं। इसे लेकर भाजपा ने कांग्रेस को घेरा। भाजपा ने गहलोत सरकार पर महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर राज्य को अव्वल नंबर पर बताया। यहां तक कि राहुल गांधी और प्रियंका गाधी को कुछ घटनाओं पर बयान नहीं देने की वजह से निशाने पर लिया।