मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने कहा कि सुगम और समावेशी मतदान के लिए निर्वाचन विभाग ने दुर्गम, दूरदराज तथा कम आबादी वाले इलाकों में भी मतदान केंद्र बनाने की व्यवस्था की है। राज्य में दुर्गम पहाड़ी इलाकों से लेकर बहुत कम आबादी वाले मरुस्थलीय क्षेत्र में भी मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।
गुप्ता ने बताया कि सिरोही जिले के आबू-पिंडवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 4,921 फुट की ऊंचाई पर स्थित शेरगांव के मतदाता इस वर्ष पहली बार अपने ही गांव में मतदान कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि चुनावकर्मी वनकर्मियों की मदद से घने जंगल में करीब 18 किलोमीटर तक पगडंडियों पर पैदल चलकर इस मतदान केंद्र तक पहुंचेंगे।
उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब स्थित बाड़मेर के पार गांव में महज 35 मतदाताओं के लिए मतदान केंद्र बनाया जा रहा है। बाड़मेर जिले के ही एक अन्य गांव मंझोली में 49 मतदाताओं के लिए पहली बार मतदान केंद्र बनाया जा रहा है। इस बार इस गांव के मतदाताओं को वोट देने के लिए 5 किलोमीटर दूर नहीं जाना पड़ेगा। इसी तरह कांटल का पार गांव में 50 मतदाताओं के लिए मतदान केंद्र बनाया जा रहा है।
एक बयान के अनुसार जैसलमेर के मेनाऊ मतदान केंद्र पर केवल 50 मतदाता हैं। मतदान के दिन वहां टेंट में एक अस्थायी बूथ स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि धौलपुर जिले के बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र में काली तीर मतदान केंद्र भी पहली बार बनाया जाएगा। डांग क्षेत्र में स्थित इस मतदान केंद्र पर 682 मतदाता हैं। पहले यहां के मतदाताओं को 7.5 किलोमीटर दूर स्थित मतदान केंद्र पर जाना होता था। राज्य की सभी 200 सीटों के लिए एक चरण में मतदान 25 नवंबर को होगा तथा 3 दिसंबर को मतगणना की जाएगी।(भाषा)