नीमकाथाना में आएंगे चौंकाने वाले परिणाम

शुक्रवार, 22 नवंबर 2013 (23:49 IST)
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नीमकाथाना। विधानसभा की तस्वीर कुछ स्पष्ट हो चुकी है। हॉट सीट बनी नीमकाथाना सीट पर दोनों प्रमुख दलों के उम्मीदवारों के साथ ही बागियों ने ताल ठोंक दी है। दोनों ही प्रत्याशियों को बगावती तेवरों का सामना करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि दोनों बागी भी अपना वजूद रखते हैं। इतिहास के पन्ने पलटें तो नीमकाथाना बगावत का गढ़ रहा है। साथ ही अप्रत्याशित चुनाव परिणाम भी यहां आते रहे हैं। पहले भी दोनों प्रमुख दलों को बागियों की टक्कर झेलनी पडी है। इस बार भी बागियों ने अपने चक्रव्यूह में फांस लिया है जो मुसीबत बनी है। तो बसपा के सांवल राम यादव, माकपा से रोशन लाल, सपा से रामरतन यादव, भारतीय युवाशक्ति पार्टी से रक्षा चौधरी, दशरथ सैन, जागो पार्टी से सतीश शर्मा जेडीएस से माली राम भी मतों का ध्रुवीकरण कर रहे हैं।

भाजपा ने पहली सूची में प्रेमसिंह बाजौर को टिकट दिया है। बाजोर दो बार चुनाव लड़कर मतदाताओं की नब्ज पहचान चुके हैं। चुनाव विश्लेषक नरेन्द्र मोदी की लहर, सत्ता विरोधी मतों का ध्रुवीकरण, भाजपा प्रत्याशी बाजौर में जीत का समीकरण लगा रहे हैं। वहीं कांग्रेस के रमेश खंडेलवाल राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं, स्वयं के विधायक कोष से करवाये गए कार्यों, भाजपा के बागी बोपिया द्वारा मतों के विभाजन को अपनी मजबूती का दम भर रहे हैं।

खण्डेलवाल अपने जन सम्पर्क दौरान नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से दावा कर रहे हैं कि पिछले 5 वर्षों में नीमकाथाना को जिले के रूप में मूर्तरूप देते हुए उसका स्‍ट्रेक्‍चर बनाया है जो आने वाले 5 वर्षों में पूर्ण आकार में दिखाई देगा। जबकि पूर्व विधायक प्रेम सिंह बाजौर भी अपने जन सम्पर्क नुक्कड़ सभाओं में बिजली, सड़क, पेय जल, शिक्षा एवं स्वास्थ्य योजनाएं लाकर शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों को सभी सुविधाओं से विकसित करने का दम भर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि पिछले 5 साल में क्षेत्र में विकास को लेकर कोई विशेष कार्य नहीं हुए है। क्षेत्र का हर व्यक्ति हर गांव बिजली पानी स्वास्थ्य जर्रजर सड़कों व महगांई, भ्रष्टाचार व कानून व्यवस्थाओं को लेकर परेशान है।

ऐसे में दोनों ही दलों के प्रत्याशियों द्वारा क्षेत्र की तस्वीर बदलने का दावा जनता में कौन कितनी मजबूती से रखकर जनता का विश्वास जीत रहा है। इस पर कहना बेहद मुश्किल है कांग्रेस से बागी निर्दलीय सुरेश मोदी ने भी अपने चुनाव घोषणा पत्र के माध्यम से जन सम्पर्क नुक्कड़ सभाओं में नीमकाथाना को जिला बनाने के प्रयासों को पहली प्राथमिकता में आगे रखकर विभिन्न विकासशील योजनाएं शुरू करवाने की घोषणा कर रहे है। जबकि निर्दलीय करण सिंह बोपीया भी कुछ इसी प्रकार से विकास को लेकर घोषणाएं कर रहे हैं।

इनके अलावा अन्य निर्दलीय व पार्टी प्रत्याशियों द्वारा भी लोकलुभावन घोषणाओं में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे है। बरहाल राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही होना तय माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस मुकाबले में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस में अधिक भीतरघात होने की प्रबल सम्भावना है। चुनाव विश्लेशकों का मानना है कि पिछले दो विधानसभा चुनाव मतदान का आंकलन किया जाए तो भाजपा प्रत्याशी बाजौर को निर्दलीय धर्मपाल गुर्जर से नुकसान उठाना पड़ा था फिर भी बाजौर कुछ 100 मतों से चुनाव जीत गए थे।

2008 विधानसभा चुनाव में गुर्जर मतदाताओं की कांग्रेस पक्ष में अपील के कारण बाजौर इनके मतों से वंचित रह गए थे और गुर्जर जाट सैनी यादव बाहुल्य मत मिलने से कांग्रेस प्रत्याशी खण्डेलवाल भारी मतों के साथ विजयी रहे थे, लेकिन अब बदली परिस्थितियों के दौर में सभी प्रत्‍याशियों के लिए परिस्थितियां नाजुक बनी हुई हैं। भाजपा कांग्रेस प्रत्याशियों के सामने दोनों ही पार्टियों के टिकट दावेदार बागी होकर मजबूती के साथ चुनाव मैदान में हैं और दोनों ही प्रत्याशी भाजपा कांग्रेस उम्मीदवारों को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।

चुनाव विश्लेशकों का कहना है कि भाजपा प्रत्याशी को राजपूत, जाट, यादवों के अलावा अन्य जाति वर्ग लोगों के साथ पार्टी सिम्बल के बहुतायात वोट मिलने की प्रबल सम्भावना है। जिससे भाजपा प्रत्याशी बाजौर को चुनाव विश्लेषक मजबूत मान रहे हैं। पिछले दो रोज में एकाएक क्षेत्र के लोगों की विचारधाराओं से बदली परिस्थितियों के कारण कांग्रेस प्रत्याशी खण्डेलवाल मजबूती के साथ भाजपा प्रत्याशी के सामने चुनौती बनकर उभर आए हैं। अब देखना यह है कि इन दोनों ही पार्टियों के बागी निर्दलीय सुरेश मोदी व करण सिंह बोपीया को अगर जनाधार मिलता है तो ऊंट किस करवट बैठेगा कुछ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि राजनीतिक परिस्थितियां बदलते देर नहीं लगती है।

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