...तो चौपट हो जाएगा इनका राजनीतिक भविष्य

सोमवार, 2 दिसंबर 2013 (13:08 IST)
बीकानेर में इस बार कांग्रेस भाजपा के कई दिग्गज ऐसे हैं, जिनका राजनीतिक भविष्य दांव पर है। वोटों ने गिनती में यदि किस्मत ने साथ नहीं दिया तो इनका सियासी भविष्य चौपट हो जाएगा।

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डॉ. बीडी कल्ला : प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, दिग्गज नेता और खुद को सीएम की दौड़ में बताने वाले डॉ. कल्ला इस बार भी अपनी परंपरागत बीकानेर पश्चिम सीट से भाग्य आजमा रहे हैं, जो पिछली दफा हार गए थे और इस दफा बड़ी मुश्किल से पार्टी टिकट हासिल कर चुनावी मैदान में उतरे हैं। मंत्री रह चुके डॉ कल्ला के लिए यह चुनाव 'करो या मरो’ वाले साबित होंगे, क्योंकि डॉ. कल्ला इस बार अगर हार गए तो कांग्रेस में इनका भविष्य खत्म हो जाएगा।

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गोपाल गहलोत : बीकानेर में भाजपा के दिग्गज कहे जाने वाले माली समाज के ये नेता इस बार कांग्रेस की टिकट पर बीकानेर पूर्व विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि भाजपा के इस जनाधार वाले नेता को कांग्रेसी बनाने में डॉ. बीडी कल्ला की अहम भागीदारी रही है। अपनी मूल पार्टी से नाता तोड़कर इस बार कांग्रेसी बने गोपाल गहलोत के लिए भी इस बार के चुनावी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। इन चुनावों में अगर इनकी जीत हुई तो प्रतिष्ठा बरकरार रह जाएगी और खुदा ना खास्ता हार गए तो इनका सियासी भविष्य बिगड़ना तय है।

गोविन्द चौहान : भाजपा की सरकार में संसदीय सचिव रहने के बाद कई दल बदलकर कांग्रेस में शामिल हुए बीकानेर के इस दबंग दलित नेता के लिए यह चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है। कांग्रेस ने इन्हें ‍िजताऊ मानकर अपना दांव खेला है। अगर जीत गए तो गोविन्द का कांग्रेस में कद बढ़ना तय है। मगर हार गए तो इनका भविष्य कांग्रेस सुरक्षित रहेगा भी या नहीं, इसे लेकर संशय है।

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देवीसिंह भाटी : कोलायत में इस बार 8वीं बार जीत दर्ज कराने के लिए मैदान में उतरे भाजपाई दिग्गज देवीसिंह भाटी बीकानेर में पार्टी के सियासी किंग समझे जाते हैं और भाजपाई इनकी हार नामुमकिन मानते हैं, लेकिन किन्हीं परिस्थितियों में इनकी हार हो जाती है तो भाटी के सियासी कद पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन भाजपा के लिए इनकी हार भीषण सियासी धमाका साबित हो सकती है।

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रामेश्वर डूडी : बीकानेर में कांग्रेस की जाट लॉबी का यह दिग्गज सांसद भी रह चुका है और इस बार फिर नोखा विधानसभा सीट के लिए चुनावी जंग लड़ रहा है। पिछली बार हार के कारण सियासत में कई पायदान नीचे आ चुके रामेश्वरलाल डूडी ने अबकी दफा जीत के लिए अपनी समूची ताकत झोंक रखी है और जीत की राह तैयार कर ली है। मगर खुदा ना खास्ता इन्हें अबकी दफा भी हार का सामना करना पड़ा तो इनकी छवि जिलास्तरीय नेता के दायरे में ही सिमटकर रह जाएगी।

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वीरेन्द्र बेनीवाल : लूणकरणसर सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे गहलोत सरकार के गृह राज्यमंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल की प्रतिष्ठा भी इन चुनावों में दांव पर लगी है और उन्होंने जीत के लिए अपनी समूची ताकत झोंक रखी है। मुख्यमंत्री गहलोत के नजदीकी समझे जाने वाले वीरेन्द्र बेनीवाल ने अपने सियासी कद लगातार बढाया है। अगर किन्हीं परिस्थितियों में हार जाते हैं तो यह झटका उनके लिए जोरदार सियासी झटका साबित होगा।


डॉ. विश्वनाथ : खाजूवाला विधानसभा के गत चुनाव में हारी बाजी जीतने में माहिर समझे जाने वाले डॉ. विश्वनाथ मेघवाल के लिए यह दूसरा चुनाव है। जीत के लिए हद से ज्यादा उतावले दिख रहे डॉ. विश्वनाथ को इस बार जीत के भरोसे पर ही भाजपा ने दुबारा मौका दिया है, लेकिन अगर ये हार गए तो इनकी सियासत का सितारा गर्दिश में डूब जाएगा।

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मंगलाराम गोदारा : अगर इस बार कांग्रेस की सरकार बनती है तो कांग्रेस के जिताऊ चेहरे मंगलाराम का मंत्री बनना तय है, क्योंकि अबकी बार जीत के साथ वे हैटट्रिक बनाने वाले हैं, मगर भाजपाई किसनाराम के सामने सीधी टक्कर में फंसे मंगलाराम को किन्हीं परिस्थितियों में हार का सामना करना पड़ा तो इनका सियासी भविष्य चौपट हो जाएगा।

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