जोधपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में दो बार मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में सत्तारुढ़ भाजपा ने अपनी चुनावी प्रतिष्ठा बरकरार रखने के लिए मौजूदा आठ विधायकों को फिर चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने फिर से प्रतिष्ठा कायम करने के लिए पूर्व मंत्रियों के बेटे-बेटियों सहित नए चेहरों को भी मौका दिया है, जहां पांच सीटों में सीधा जबकि इतनी सीटों पर त्रिकोणात्मक मुकाबला होने के आसार हैं।
भाजपा ने जिले में मोदी लहर के चलते पिछली बार 10 में से 9 सीटें जीतकर कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले जिले में अपना राजनीतिक प्रभुत्व कायम किया था और इसे बचाने के लिए इस बार चुनाव में जोधपुर शहर से मौजूदा विधायक कैलाश भंसाली को छोड़कर शेष आठों विधायकों पर फिर भरोसा जताया है। हालांकि शहर से भंसाली की जगह उनके भतीजे अतुल भंसाली को मौका दिया गया है।
भाजपा ने गहलोत की परंपरागत सीट पर उन्हें पटखनी देने के लिए पिछले चुनाव में उनसे 18478 मतों से हारे शंभू सिंह खेतासर को फिर चुनाव मैदान में उतारा है, जहां भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर मानी जा रही है लेकिन इस बार भी कड़ी टक्कर होने के आसार कम नजर आ रहे हैं। खेतासर वर्ष 2008 में ओसियां विधानसभा क्षेत्र से महिपाल मदेरणा से भी चार हजार से अधिक मतों से चुनाव हार चुके हैं।
गहलोत सरदारपुरा से 1999 से लगातार चार चुनाव जीत चुके हैं और माली बहुल क्षेत्र में उनका राजनीतिक प्रभुत्व काफी मजबूत बन गया है। सरदारपुरा कांग्रेस का गढ़ माना जा रहा हैं और यहां से कांग्रेस ने अब तक दस बार जीत दर्ज की हैं जबकि भाजपा ने दो बार चुनाव जीता है। भाजपा के राजेन्द्र गहलोत ने 1990 में यहां से भाजपा के लिए खाता खोला और इसका अगला चुनाव भी जीता।