रक्षाबंधन का पर्व ज्यों-ज्यों करीब आने लगता है़, बहनें बड़े अरमानों से अपने भाइयों के लिए राखियाँ खरीदती हैं। कुछ के भाई पास ही रहते हैं, लेकिन जिनके भाई उनसे दूर हों तो बहनों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उनके प्यारे भाई को राखी रक्षाबंधन के दिन मिल जाए और उस नेह के बंधन को वह अपनी कलाई पर सजा सकें, इसलिए वह डाक से अपने भाई को राखी भेजती हैं।
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बहनों के साथ-साथ इस नेह के पर्व पर डाक विभाग भी बड़ी मुस्तैदी से अपने काम को अंजाम देता है। बहनों की राखियाँ उनके भाइयों तक सही समय पर और सही-सलामत पहुँचाने में उनकी अहम भूमिका होती है।
डाक विभाग की बढ़ी जिम्मेदारियाँ :
राखी का पर्व जैसे-जैसे करीब आने लगता है, रोजाना हजारों की संख्या में राखी वाली डाक देश के कोने-कोने से आती हैं। देश के बड़े शहरों से लेकर छोटे-छोटे कस्बों में हर साल राखी के मौके पर हजारों की तादाद में डाक आती हैं। उन्हें संभालकर अलग करना, समय पर डाक को उसके पते पर पहुँचाने का काम डाकिए का होता है।
इस बारे में डाक विभाग के लोगों से बात करने पर यह बात सामने आई कि डाक में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो, इसलिए रक्षाबंधन के त्योहार तक डाक विभाग में खास तरह के लिफाफे रखे जाते हैं ताकि राखी को उसके सही ठिकाने तक पहुँचाने का काम किया जा सके। बहुत बार लोगों की ये शिकायतें आती हैं कि उनकी राखियाँ उनके भाइयों तक नहीं पहुँचीं। यह पूरी तरह से डाक विभाग की गलती नहीं होती, बल्कि लोगों की लापरवाही भी इसकी वजह बनती है। लोगों को भी राखी भेजने के पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए -
* डाक से कभी भी भारी-भरकम राखियाँ न भेजें। * लिफाफे के ऊपर राखी लिखना न भूलें। * जहाँ राखी भेज रही हैं, वहाँ का पूरा पता अवश्य लिखें। * उचित मूल्य के टिकट लगे लिफाफे में ही राखियाँ भेजें।
इस दौरान डाक विभाग द्वारा एक व्यक्ति की अलग से ड्यूटी लगा दी जाती है कि वे इन विशेष डाकों को अलग करके और क्षेत्र के अनुसार उसका बंडल तैयार कर लें। राखी के मौके पर जो विशेष लिफाफे बेचे जाते हैं, उनकी कीमत 2-3 रुपए ही होती है, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से ये काफी महत्वपूर्ण होते हैं। तो आप भी अपने प्यारे भाई तक नेह का यह बंधन सही-सलामत पहुँचाएँ क्योंकि डाक-विभाग तो है न।