कैसे बांधें राखी, पढ़ें सरल और पौराणिक रीति

श्रावण पूर्णिमा व रक्षाबंधन के दो पर्व हैं जो संयुक्त रूप से मनाए जाते हैं। यह उपासना और संकल्प का अद्भुत समन्वय है। पढ़ें क्या करें राखी के दिन, कैसे मनाएं पर्व... 

 प्रातः स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
 
 अब दिनभर में किसी भी शुभ मुहूर्त में घर में ही किसी पवित्र स्थान पर गोबर से लीप दें।
 
 लिपे हुए स्थान पर स्वस्तिक बनाएं।
 
 स्वस्तिक पर तांबे का पवित्र जल से भरा हुआ कलश रखें।
 
 कलश में आम के पत्ते फैलाते हुए जमा दें।
 
 इन पत्तों पर नारियल रखें।
 
 कलश के दोनों ओर आसन बिछा दें। (एक आसन भाई के बैठने के लिए और दूसरा स्वयं के बैठने के लिए)
 
 अब भाई-बहन कलश को बीच में रख आमने-सामने बैठ जाएं।
 
 इसके पश्चात कलश की पूजा करें।
 
 फिर भाई के दाहिने हाथ में नारियल तथा सिर पर टॉवेल या टोपी रखें।
 
 अब भाई को अक्षत सहित तिलक करें।
 
 इसके बाद भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें।
 
 पश्चात भाई को मिठाई खिलाएं, आरती उतारें और उसकी तरक्की व खुशहाली की कामना करें।
 
 इसके पश्चात घर की प्रमुख वस्तुओं को भी राखी बांधें। जैसे- कलम, झूला, दरवाजा आदि।

पूजन की थाली में क्या-क्या रखें-पूजन थाली में निम्न सामग्री रखना चाहिए-

 
  भाई को बांधने के लिए राखी
  तिलक करने के लिए कुंकु व अक्षत
  नारियल
  मिठाई
  सिर पर रखने के लिए छोटा रुमाल अथवा टोपी
  आरती उतारने के लिए दीपक

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