क्या है रक्षा बंधन ?

भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षा बंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बंधन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं। 


 
राखी का वास्तविक अर्थ भी यही है कि किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। इस दिन बहनें भाइयों को सूत की राखी बांधकर अपनी जीवन रक्षा का दायित्व उन पर सौंपती हैं।
 
इस दिन केवल बहनें ही भाइयों को राखी बांधें, ऐसा आवश्यक नहीं है। त्योहार का वास्तविक आनंद पाने के लिए धर्म-परायण होना जरूरी है। इस पर्व में दूसरों की रक्षा के धर्म-भाव को विशेष महत्व दिया गया है। 
 
जन साधारण को चाहिए कि प्रातःकालीन कर्मों से निवृत होकर स्नान-ध्यान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें अथवा सूत के वस्त्र में चावल की छोटी-छोटी गांठें, केसर अथवा हल्दी से रंग में रंग लें। गाय के गोबर से घर लीपकर, चावल के आटे का चौक पूरकर मिट्टी के छोटे से घड़े की स्थापना करें।

पुरोहित बुलवा कर विधिपूर्वक कलश का पूजन करवाएं। पूजनोपरांत चावल वाली गांठों को पुरोहित यजमान की कलाई में बांधते हुए यह मंत्र पढ़ें : -
 
'येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेनत्वामभिबघ्नामि रक्षे माचल-माचलः।'
 
तत्पश्चात अपने भाई की कलाई में राखी बांधकर रक्षाबंधन का त्योहार मनाएं। 

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