रक्षा बंधन क्यों है भाई दूज से अलग, जानिए 10 कारण

रक्षा बंधन जहां हिन्दू माह श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है वहीं भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। भाई दूज दीपावली के पांच दिनी महोत्सव का अंतिम दिन होता है। भाई दूज और रक्षा बंधन का त्योहार दोनों ही भाई बहन के रिश्तों से जुड़ा हुआ त्योहार है। आओ जानते हैं रक्षा बंधन क्यों है भाई दूज से अलग।
 
 
1. रक्षा बंधन को संस्कृत में रक्षिका या रक्षा सूत्र बंधन कहते हैं जबकि भाई दूज को संस्कृत में भागिनी हस्ता भोजना कहते हैं। मतलब यह कि रक्षा बंधन पर रक्षा सूत्र बांधते हैं जबकि भाई दूज पर बहन अपने भाई को भोजन‍ खिलाती हैं।
 
2. रक्षा बंधन के दिन बहनों का खास महत्व होता है। विवाहित बहनों को भाई अपने घर बुलाकर उससे राखी बंधवाता है और उसे उपहार देता है जबकि भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसे तिलक लगाकर उसकी आरती उतारकर उसे भोजन खिलाती है। मतलब यह कि रक्षा बंधन पर बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं जबकि भाई दूज पर सिर्फ तिलक लगाया जाता है।
 
3. रक्षा बंधन 'रक्षा सूत्र' मौली या कलावा बांधने की परंपरा का ही एक रूप है जबकि भाई दूज में ऐसा नहीं है। भाई दूज किसी अन्य परंपरा से निकला त्योहार नहीं है।
 
4. रक्षा बंधन का प्रारंभ जहां इंद्र, राजा बली और श्रीकृष्ण के कारण हुआ था वहीं भाई दूज का त्योहार यमराज के कारण हुआ था, इसीलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं।
 
5. रक्षा बंधन पर महाराजा बली की कथा सुनने का प्रचलन है जबकि भाईदूज पर यम और यमुना की कथा सुनने का प्रचलन है।
 
6. रक्षा बंधन पर मिठाई खिलाने का प्रचलन है जबकि भाई दूज पर भाई को भोजन के बाद पान खिलाने का प्रचलन है। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है।
 
7. भाई दूज पर जो भाई-बहन यमुनाजी में स्नान करते हैं, उनको यमराजजी यमलोक की यातना नहीं देते हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है जबकि रक्षा बंधन पर ऐसा नहीं होता है।
 
8. रक्षा बंधन को राखी का त्योहार भी कहते हैं और इसे दक्षिण भारत में नारियल पूर्णिमा के नाम से अलग रूप में मनाया जाता है जबकि भाई दूज के कई प्रांत में नाम अलग अलग है लेकिन यह त्योहार भाई और बहन से ही जुड़ा हुआ है। 
 
9. भाई दूज एक ऐसा त्योहार है जो संपूर्ण भारत में मनाया जाता है जबकि रक्षा बंधन कुछ प्रांतों में ही प्रचलित है क्योंकि कुछ प्रांतों श्रावण पूर्णिमा को भाई-बहन से जोड़कर नहीं मनाया जाता।
 
10. कर्नाटक में इसे सौदरा बिदिगे के नाम से जानते हैं तो वहीं बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा के नाम से जाना जाता है। गुजरात में भौ या भै-बीज, महाराष्ट्र में भाऊ बीज कहते हैं तो अधिकतर प्रांतों में भाई दूज। भारत के बाहर नेपाल में इसे भाई टीका कहते हैं। मिथिला में इसे यम द्वितीया के नाम से ही मनाया जाता है।
 
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