Raksha Bandhan 2019 : चंद्रमा के रोगों से पी‍ड़ित हैं तो श्रावणी पूर्णिमा के दिन करें ये सटीक उपाय, पढ़ें शुभ मुहूर्त

यदि आपका चंद्रमा पीड़ित है। हाइपरटेंशन, डिप्रेशन, पागलपन, अत्यधिक लो ब्लडप्रेशर इत्यादि होता है तो श्रावणी पूर्णिमा करें विशेष पूजा और उपाय, इसी दिन दिन रक्षाबंधन का त्योहार भी है-
 
श्रावण माह की पूर्णिमा को बहुत ही शुभ व पवित्र दिन माना जाता है। ग्रंथों में इन दिनों किए गए तप और दान का महत्व उल्लेखित है। इस दिन रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार मनाया जाता है। इसके साथ ही साथ श्रावणी उपाकर्म श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को आरंभ होता है। श्रावणी कर्म का विशेष महत्व है। इस दिन यज्ञोपवीत के पूजन तथा उपनयन संस्कार का भी विधान है।
 
हिन्दू धर्म में श्रावण माह की पूर्णिमा बहुत ही पवित्र व शुभ दिन माना जाता है। श्रावण पूर्णिमा की तिथि धार्मिक दृष्टि के साथ ही साथ व्यावहारिक रूप से भी बहुत ही महत्व रखती है। श्रावण माह भगवान शिव की पूजा-उपासना का महीना माना जाता है। श्रावण में हर दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करने का विधान है।
 
इस प्रकार की गई पूजा से भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। इस माह की पूर्णिमा तिथि इस मास का अंतिम दिन माना जाता है अत: इस दिन शिवपूजा व जल अभिषेक से पूरे माह की शिवभक्ति का पुण्य प्राप्त होता है।
 
2019 में श्रावणी पूर्णिमा
 
साल 2019 में श्रावणी पूर्णिमा 15 अगस्त, गुरुवार को है। 
 
इस बार सूर्योदय से पहले ही भद्रा समाप्त हो रही है इसलिए यह पूर्णिमा बहुत ही शुभ है।
 
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 15.45 बजे (14 अगस्त 2019, बुधवार)
 
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 17.59 बजे (15 अगस्त 2019, गुरुवार)
 
रक्षाबंधन का त्योहार भी श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे सावनी या सलूनो भी कहते हैं। रक्षाबंधन, राखी या रक्षासूत्र का रूप है।  इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, उनकी आरती उतारती हैं तथा इसके बदले में भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है और उपहारस्वरूप उसे भेंट भी देता है।
 
इसके अतिरिक्त ब्राहमणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा संबंधियों को जैसे पुत्री द्वारा पिता को भी रक्षासूत्र या राखी बांधी जाती है। इस दिन यजुर्वेदी द्विजों का उपाकर्म होता है, परिमार्जन, स्नान विधि, ऋषि-तर्पणादि करके नवीन यज्ञोपवीत धारण किया जाता है। वृत्तिवान ब्राह्मण अपने यजमानों को यज्ञोपवीत तथा राखी देकर दक्षिणा लेते हैं।
 
श्रावणी पूर्णिमा पर अमरनाथ यात्रा का समापन
 
पुराणों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्री अमरनाथ की पवित्र छड़ी यात्रा का शुभारंभ होता है और यह यात्रा श्रावण पूर्णिमा को संपन्न होती है। कावड़ियों द्वारा श्रावण पूर्णिमा के दिन ही शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है और उनकी कावड़ यात्रा संपन्न होती है। इस दिन शिवजी का पूजन होता है। पवित्रोपासना के तहत रूई की बत्तियां पंचगव्य में डुबाकर भगवान शिव को अर्पित की जाती हैं।
 
श्रावण पूर्णिमा उपाय 
 
श्रावण पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है अत: इस दिन पूजा-उपासना करने से चंद्रदोष से मुक्ति मिलती है। 
 
श्रावणी पूर्णिमा का दिन दान-पुण्य के लिए महत्वपूर्ण होता है अत: इस दिन स्नान के बाद गाय आदि को चारा खिलाना, चींटियों व मछलियों आदि को दाना खिलाना चाहिए। 
 
इस दिन गोदान का बहुत महत्व होता है।
 
श्रावणी पर्व के दिन जनेऊ पहनने वाला हर धर्मावलंबी मन, वचन और कर्म की पवित्रता का संकल्प लेकर जनेऊ बदलते हैं। 
 
ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दिया जाता और भोजन कराया जाता है।
 
 इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है। 
 
विष्णु-लक्ष्मी के दर्शन से सुख, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस पावन दिन पर भगवान शिव, विष्णु, महालक्ष्मी व हनुमान को रक्षासूत्र अर्पित करना चाहिए।

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