वर्ष 2018 में रक्षा बंधन 26 अगस्त, रविवार को मनाया जा रहा है। भारत में यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हैं।
कब तक रहेगी भद्रा
पिछले साल रक्षाबंधन के पर्व को भद्रा की नजर लगी हुई थी जिस कारण राखी बांधने के समय में फेरबदल हुआ था लेकिन सौभाग्य से इस बार इस पावन पर्व को भद्रा की नजर नहीं लगी है। इसलिए बहनें भाइयों की कलाई पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच रक्षाबंधन का अनुष्ठान कर सकती हैं।
क्या है भद्रा
शास्त्रों की मान्यता के अनुसार भद्रा का संबंध सूर्य और शनि से होता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में, भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। शनि की तरह ही इसका स्वभाव भी क्रूर बताया गया है। इस उग्र स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उसे कालगणना या पंचाग के एक प्रमुख अंग करण में स्थान दिया। जहां उसका नाम विष्टी करण रखा गया। भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्यों, यात्रा और उत्पादन आदि कार्यों को निषेध माना गया। भद्रा का साया समाप्त होने पर ही रक्षाबंधन अनुष्ठान किया जाता है।। लेकिन इस बार भद्रा मुक्त रक्षाबंधन होने से यह बहनों के लिए हर्ष का अवसर है।
ग्रहण मुक्त है इस बार की राखी
पिछले वर्ष राखी का पर्व भद्रा व ग्रहण से पीड़ित होने के कारण बहुत ज्यादा सौभाग्यशाली नहीं माना गया था लेकिन इस बार राखी ग्रहण से मुक्त है क्योंकि इस वर्ष का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण 28 जुलाई को लगा था। श्रावण पूर्णिमा इस बार ग्रहण से मुक्त रहेगी जिससे यह और भी सौभाग्यशाली हो जाती है।