अब सवाल यह है कि जब 2 दिन पूर्णिमा की तिथि है तो फिर 15 अगस्त को ही त्योहार क्यों बनाया जा रह है। वास्तव में रक्षा बंधन में पराह्यण व्यापिनी तिथि ली जाती है। यदि पूर्णिमा दो दिन हो या उस दिन भद्रा हो तो उसका त्याग करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, भद्रा में रक्षा पर्व और फागुनी दोनों ही वर्जित है।
श्रावणी में राजा और फागुनी में प्रजा का अनिष्ट होता है। पूर्णिमा तिथि 14 अगस्त को दिन में ही 2.45 बजे लग रही है जो 15 अगस्त को शाम 4.30 बजे तक रहेगी। 15 अगस्त को सुबह से लेकर शाम 4.23 बजे तक बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध सकेंगी। सारे मंगलमयी, अनुकूल और शुभ संयोग 15 अगस्त के दिन ही है इसलिए विद्वानों द्वारा तय किया गया कि 15 अगस्त पर ही रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाना उचित है।