आप जानते होंगे कि श्रीराम की बहन शांता थी जिसके पति श्रृंगी ऋषि थे। श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा, एकांगा और महामाया थीं। गणेशजी की बहन अशोकसुंदरी, जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि था। यमराज की बहन यमुना थीं। सूर्यदेव की बहन छठ मैया थीं। परंतु कम ही लोग जानते हैं कि भगवान शिव और विष्णु की बहन कौन हैं।
श्री हरि विष्णु की बहन : शाक्त परंपरा में तीन रहस्यों का वर्णन है- प्राधानिक, वैकृतिक और मुक्ति। इस प्रश्न का, इस रहस्य का वर्णन प्राधानिक रहस्य में है। इस रहस्य के अनुसार महालक्ष्मी के द्वारा विष्णु और सरस्वती की उत्पत्ति हुई अर्थात विष्णु और सरस्वती बहन और भाई हैं। इन सरस्वती का विवाह ब्रह्माजी से और ब्रह्माजी की जो दूसरी सरस्वती है, उनका विवाह विष्णुजी से हुआ था ऐसे उल्लेख मिलता है।
देवी पार्वती अपनी ननद को देखकर बड़ी प्रसन्न हो गई। असावरी देवी स्नान करके आईं और भोजन मांगने लगीं। तब माता पार्वती ने उन्हें भोजन दिया परंतु जब असावरी देवी ने खाना शुरू किया तो पार्वती के भंडार में जो कुछ भी था सब खा गईं और किसी के लिए कुछ बचा ही नहीं। यह देखकर माता पार्वती दुःखी हो गईं। इसके बाद जब देवी पार्वती ने ननद को पहनने के लिए नए वस्त्र दिए तो असावरी देवी के लिए वह वस्त्र छोटे पड़ गए। पार्वती उनके लिए दूसरे वस्त्र का ढूंढने करने लगीं। इस बीच ननद आसावरी को अकत्माक ही परिहास करने की इच्छा हुई कि थोड़ा मजाक कर लिया जाए तो उन्होंने अपने पैरों की दरारों में पार्वतीजी को छुपा लिया। वहां पार्वतीजी का दम घुटने लगा।
शिवजी ने जब असावरी देवी से पार्वती के बारे में पूछा कि वे कहां चली गई तो असावरी देवी ने झूठ बोला। जब शिव जी ने कहा कि कहीं ये तुम्हारी हरकत तो नहीं है? असावरी देवी हंसने लगीं और भूमि पर पांव पटक दिया। इससे पैर की दरारों में दबी देवी पार्वती बाहर निकलकर गिर पड़ी। ननद के इस व्यवहार से देवी पार्वती को बहुत क्रोध आया और उन्होंने भगवान शिव से कहा कि कृपया ननद को जल्दी से ससुराल भेजने की कृपा करें। मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैंने ननद की इच्छा व्यक्त की। तब भगवान शिव ने असावरी देवी को कैलाश से विदा कर दिया।