वाल्मिकी रामायण तीन घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है एक-राम के वनवास की कैकेयी द्वारा की जाने वाली मांग, दो- शूर्पनखा का राम से प्रणय-निवेदन, फिर निवेदन अस्वीकार करना, लक्ष्मण द्वारा उसका अंग-भंग करना, तीन- सीता की हिरन की मांग,लक्ष्मण का उन्हें छोड़ कर जाने की मनाही पर सीता द्वारा अनावश्यक आरोप व दोषारोपण। अंतिम इस घटना का परिणाम ये हुआ कि सीता असुरक्षित हो गईं. अपहरण हो गया और युद्ध का कर्ण बना. रामायण रची गई.
वास्तव में ये घटनाएं बतातीं हैं कि जीवन सुखद ढंग से निर्वाह किया जा सकता है, यदि स्त्रियों में ये दुर्गुण न होते व वे स्वभाव से चंचल न होतीं। रामायण में कैकेयी और शूर्पनखा जैसी महत्वाकांक्षी और पहल करने वाली स्त्रियों को भी घृणित व नकारात्मक छवि वाला दर्शाया है।
वहीं गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस के दोहे के अनुसार सीता को वन से हरण कर ले जाने के बाद रावण उन्हें लंका ले गया। जब श्रीराम को सीता जी के लंका होने के बारे में पता चला तो उन्होंने लंका पहुंचने का प्रयास किया और अंत में वे अपनी वानर सेना के साथ लंका पहुंचने में सफल हुए। उनके लंका पहुंचने की खबर जब लंकापति रावण के राजमहल तक पहुंची तब रावण की पत्नी मंदोदरी डर गई। वह तुरंत अपने पति के पास गई और उनसे अर्ज की कि वह युद्ध ना करें। सीता को उनके पति श्रीराम को सही सलामत वापस दे दें और उनसे क्षमा मांग लें। अपनी पत्नी की बात सुनने के बाद रावण ने उसे पत्नियों के 8 अवगुणों के बारे में बताया।
नारी सुभाव सत्य सब कहहीं, अवगुण आठ सदा उर रहहीं
साहस अनृत चपलताता माया, भय अबिबेक असौच अदाया
साहस
रावण ने कहा था कि महिलाएं साहसी तो होती हैं लेकिन अक्सर अपने बल का प्रयोग वो गलत जगह करती हैं। रामचरित मानस में वर्णित दोहे के अनुसार पत्नियों में जो पहला अवगुण पाया जाता है वह है ‘बहुत ज्यादा साहस होना’। साहस होना अच्छी बात है लेकिन रावण के अनुसार स्त्रियां अपने साहस का अमूमन गलत जगह इस्तेमाल कर लेती हैं। जैसे ही उन्हें अपने से या जैसी वे परिस्थिति की अपेक्षा करती हैं, उससे प्रतिकूल कुछ दिखाई दे तो वे उसे बदलने के लिए साहस के साथ आगे बढ़ती हैं. वे ये नहीं समझ पातीं कि उनके द्वारा दिखाया गया साहस सही है या नहीं।
झूठ
स्त्रियां अक्सर झूठ बोलती हैं क्योंकि वो कोमल हृदय वाली होती हैं जो कि अक्सर अपनों की बातें छुपाने के लिए झूठ बोल देती हैं और बुराई का कारण बनती हैं। रावण के अनुसार पत्नियों में जो दूसरा अवगुण देखने को मिलता है वह है ‘उनकी निरंतर झूठ बोलने की आदत’। ऐसा नहीं है कि वे पल-पल झूठ बोलती हैं, लेकिन वे बातों को छिपाने के लिए अकसर झूठ का सहारा ले लेती हैं यह सत्य है। पूर्ण रामायण काल में मंदोदरी ने भी रावण से कई झूठ बोले। कई बार उसने रावण से बातें छिपाई, इतना ही नहीं युद्ध के दौरान मंदोदरी ने दुश्मन का साथ भी दिया। रावण के अनुसार पत्नियां अकसर झूठ बोलकर खुद भी फंसती हैं और अपने पति को भी दुविधा में डालती हैं। लेकिन सच एक ना एक दिन सामने आ ही जाता है, फिर उन्हें इस बात का पछतावा होता है।
अस्थिर और चंचल
महिलाएं अस्थिर विचारधारा और चंचल चित्त वाली होती हैं इसलिए उनके मन को समझ पाना बहुत मुश्किल होता है। रावण के अनुसार पत्नियों में पुरुषों की तुलना में अधिक चंचलता होती है। उनका मन कभी भी लंबे समय के लिए एक बात पर रुकता नहीं है। कुछ ही समय में वे अपनी ही कही बात पर मन बदल लेती हैं। जिस कारण से परिस्थितियां अस्थिर हो जाती हैं और काबू में नहीं आती।
स्वार्थी और मायावी
महिलाएं स्वार्थी और जिद्दी होती हैं और अपनी जिद को पूरा करने के लिए वो कहानियां गढ़ने और मोहमायी मायावी खेल भी खेल जाती हैं। रावण ने पत्नियों के जिस चौथे अवगुण की बात की थी वह है ‘उनके माया रचने का अवगुण’। उसके अनुसार यह स्त्रियों की एक कला है, वे जानती हैं कि किस समय क्या करना है ताकि परिस्थिति उनके अनुकूल हो। रावण के अनुसार स्त्रियां अपने खुद के स्वार्थों को पूरा करने के लिए कई प्रकार की माया रचती हैं। दुनिया उनकी इस माया से बेखबर होती है. अपना काम सिद्ध कराने के लिए महिलाएं क्या-क्या करती हैं, इसकी भी चर्चा की है लंकापति रावण ने. रावण की राय में अपनी बात मनवाने के लिए स्त्रियां रूठती है, रुष्ट होने का नाटक करती हैं, कई बार प्रलोभन देती हैं और साथ ही जब जरूरत पड़े तो कार्य सिद्ध कराने के लिए सामने वाले व्यक्ति को हर तरीके से मनाती भी हैं. लेकिन अंत में अपना काम करवा लेती हैं.
घबरा जाती हैं
यद्दपि महिलाएं साहसी होती हैं लेकिन विकट परिस्थितियां आते ही वो बहुत जल्दी हथियार डाल देती हैं। रावण ने पत्नियों के जिस पांचवें अवगुण की बात की है वह है ‘उनका डरपोक होना’। स्त्रियां बहुत जल्दी घबरा जाती हैं, परिस्थिति में यदि वे अचानक बदलाव देख लें तो डर जाती हैं कि आगे क्या होगा। मंदोदरी ने भी कुछ ऐसा ही बर्ताव किया। जब उसे मालूम हुआ कि श्रीराम, जो स्वयं शिव जी के परम भक्त हैं, वे रावण से युद्ध करने के लिए लंका पहुंच गए हैं तो उसे अपने पति की मृत्यु का भय सताने लगा और इसी डर के कारण उसने अपने पति को युद्ध ना लड़ने की सलाह दी और अपना बल दिखाने से पहले ही हार मान लेने और क्षमा मांगने के लिए कहा।
महिलाएं अविवेकी होती हैं
महिलाएं अविवेकी होती हैं इसलिए अक्सर भावावेश में आकर वे गलत फैसले ले लेती हैं जिसका एहसास उन्हें बहुत देर में होता है। इसलिए रावण ने यह कहा कि भले ही स्त्रियां कितनी ही साहसी क्यों ना हो, लेकिन उनके मन में एक भय जरूर होता है। यह भय उनसे अजीबोगरीब कार्य करवाता है, इस भय के कारण उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है ‘अविवेक’... जी हां, रावण के अनुसार स्त्रियों का छठा अवगुण है उनका अविवेक। स्त्रियां भले ही तेज दिमाग वाली हो, बुद्धिमान भी हो सकती हैं, लेकिन उनमें कई बार अविवेक जैसा अवगुण देखा गया है। जिसके कारण वे बिना सोचे समझे निर्णय ले लेती हैं और बड़ी समस्या में पड़ जाती हैं।
दया नहीं दिखाती
वैसे तो महिलाएं कोमल हृदय वाली होती हैं लेकिन अगर कोई एक बार उनकी नजर से उतर जाए तो वो उसे आसानी से माफ नहीं करती हैं। रावण के अनुसार स्त्रियों का सातवां अवगुण है ‘निर्दयता’। स्त्रियां दया जरूर करती हैं लेकिन जिस बात पर उन्हें दया ना आए, वे कभी उस पर भविष्य में भी दया नहीं दिखाती। यह उनका हठ ही समझ लीजिए।
अपवित्र
रावण के मुताबिक महिलाएं भले ही कपड़ों से गहनों से खुद को सजाएं लेकिन दिल से वो पवित्र नहीं होती हैं, वो साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखतीं इस कारण रावण ने महिलाओं को अपवित्र कहा था. ‘अपवित्रता’... माफ कीजिएगा आपको इस बात पर सच में बुरा लग रहा होगा लेकिन रावण के अनुसार महिलाएं अपवित्र होती हैं. उनमें मन की साफ-सफाई का अभाव होता है।
परन्तु ये सब उन दिनों की परिस्थियों व सामाजिक संरचनाओं के आधार पर रचा गया था। परन्तु अब मान्यताएं बदल चुकीं हैं। समाज बदल चुका है। अब समय है स्पष्ट रूप से नए समाज और मान्यताओं को समय के द्वारा महिलाओं की सपूर्ण एक तस्वीर बदलने के लिए नए औजारों के निर्माण का... वर्तमान में इस बदलाव की सख्त आवश्यकता है।
प्रस्तुत विचार लेखक द्वारा निजी शोध के माध्यम से तैयार किए गए हैं।वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।