Ramadan 2022 22nd day : पाकीजगी के साथ अल्लाह की इबादत करने की सीख देता है 22वां रोजा

Webdunia
Ramadan Month 2022
 
Ramadan 2022 हर मज़हब की इबादत का अपना ढंग होता है। इसके अलावा हर मज़हब में ऐसी कोई न कोई रात या कुछ ख़ास बातें इबादत के लिए मख़्सूस (विशिष्ट) होती हैं जिनकी अपनी अहमियत होती है।

मिसाल के तौर पर सनातन धर्म (मज़हब) में भगवती जागरण/ नवरात्र जागरण/ जैन धर्म में ख़ास यानी विशिष्ट तप-आराधना (इबादत), सिख धर्म में एक ओंकार सतनाम का जाप, ईसाई मज़हब में भी स्पिरिचुअल नाइट्स फॉर स्पिरिचुअल अवेकनिंग एंड अवेयरनेस के अपने लम्हात होते हैं जो हॉली फास्टिंग या पायस मोमेन्ट्स से जुड़े रहते हैं।
 
इस्लाम मज़हब की इबादत की नींव एकेश्वरवाद (ला इलाहा इल्ललाह) पर मुश्तमिल (आधारित) है। हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अल्लाह के रसूल यानी संदेशवाहक (मोहम्मदुर्रसूलल्लाह) है।

ये यक़ीन और तस्दीक़ यानी अल्लाह और उसके रसूल (संदेशवाहक) को स्वीकारना जरूरी है। इसको यों कह सकते हैं कि अल्लाह पर ईमान लाना और रसूलल्लाह के अहकामात मानना (ये अहकामात ही दरअसल अहकामे-शरीअत है) ही इस्लाम मज़हब की बुनियाद है।
 
माहे रमज़ान को मज़हबे-इस्लाम में ख़ास मुक़ाम हासिल है। पाकीज़गी (पवित्रता) और परहेज़गारी की पाबंदी के साथ रखा गया रोज़ा रोज़ेदार को इबादत की अलग ही लज़्ज़त देता है।
 
दरअसल दोज़ख़ की आग से निजात का यह अशरा (जिसमें रात में की गई इबादत की खास अहमियत है) इक्कीसवीं रात (जब बीसवां रोज़ा इफ्तार लिया जाता है) से ही शुरू हो जाता है। वैसे इस अशरे में जैसा कि पहले कहा जा चुका है दस रातें-दस दिन होते हैं, मगर उन्तीसवें रोज़े वाली शाम को ही चांद नजर आ जाए तो नौ रातें-नौ दिन होते हैं।
 
इस अशरे में इक्कीसवीं रात जिसे ताक़ (विषम) रात कहते हैं नमाज़ी (आराधक) एतेक़ाफ़ (मस्जिद में रहकर विशेष आराधना) करता है। मोहल्ले में एक शख्स भी एतेक़ाफ करता है तो 'किफ़ाया' की वजह से पूरे मोहल्ले का हो जाता है। दरअसल अल्लाह को पुकारने का तरीक़ा और आख़िरत को संवारने का सलीक़ा है रमजान।
प्रस्तुति : अज़हर हाशमी

ALSO READ: Ramadan 2022 21st day : रमजान माह का आखिरी अशरा है नर्क से मुक्ति का रास्ता

ALSO READ: Ramadan 2022 20th day: मगफिरत के अशरे की आखिरी कड़ी है 20वां रोजा
 

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख