ramadan importance: इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नौवां महीना रमजान का होता है। इस बार भारत में 12 मार्च से रमजान का पाक महीना शुरू हो गया है। और पुन: हर बार की तरह इस बार भी माहे रमजान में रोजे के समय बाजारों में रौनक दिखाई पड़ेगी।
रमजान का पवित्र महीना रहमत और बरकत से भरा माना जाता है, जो मोमिनों को अल्लाह से प्यार और लगन जाहिर करने के साथ खुद को खुदा की राह की कसौटी पर कसने का मौका देता है।
रमजान का महीना सबसे खास माना गया है। हर बंदे के लिए रमजान का महीना अल्लाह की नेमत है। इस माह का हर मिनट बहुत कीमती माना जाता है। इस पूरे माह में इस्लाम धर्म के लोग रोजा रखकर और बुरे कामों से तौबा कर हर नेक कार्य करने के साथ रोजे रखते हैं तथा असहायों की मदद करते है।
इस्लाम धर्म में 'रमजान' रहमत बरकत और मगफिरत का महीना है। माना जाता है कि अल्लाह ने मुसलमानों पर रोजे इसलिए फर्ज फरमाए हैं जिससे अपने अंदर तकवा परहेजगारी पैदा कर सके। इन दिनों में यदि कोई व्यक्ति भूखा या प्यासा रहता है तथा बुरे कामों को नहीं छोड़ता है, तो उसका रोजा सिर्फ फांके के सिवा कुछ नहीं है, ऐसा समझा जाता है।
रमजान में हर नेक और बुरे काम का बदला सत्तर गुना अधिक होता है। अल्लाह भी ऐसे लोगों के रोजे पसंद नहीं करते हैं, जो अपने बुरे काम न छोड़े। रमजान में अल्लाह हर इंसान को मौका देता है कि वह अपने बुरे कामों से तौबा करे और अच्छे काम करने का दृढ़ संकल्प करें।
इस धर्म में रमजान मास को पूरे तीन अशरों में बांटा गया है। रमजान के पहले दस दिनों को पहला अशरा, दूसरे दस दिनों को दूसरा अशरा और आखिरी दस दिनों को तीसरा अशरा का जाता है। यानी पहले रोजे से दसवें रोजे तक पहला अशरा, ग्यारहवें रोजे से बीसवें रोजे तक दूसरा अशरा और इक्कीसवें रोजे से तीसवें रोजे तक तीसरा अशरा होता है। अत: इस्लाम धर्म के अनुसार इस पवित्र महीने में मुस्लिम लोग रोजा रखते हैं तथा तीस दिनों बाद चांद देखकर ईद-उल-फित्र का त्योहार मनाते हैं।
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