लक्ष्मण मूर्च्छा : राम-रावण युद्ध के समय मेघनाद के तीर से लक्ष्मण मूर्च्छित होकर गिर पड़े। लक्ष्मण की गहन मूर्च्छा को देखकर सब चिंतित एवं निराश होने लगे। विभीषण ने सबको सांत्वना दी। फिर सुग्रीव ने सुषेण वैद्य को बुलाया। सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा। सभी ने संजीवनी बूटी की खोज में हनुमानजी को भेजा और हनुमानजी संजीवनी का पहाड़ ही उठा लाए।