कुश के वंशज : राम के जुड़वा पुत्र लव और कुश हुए। कुश के अतिथि हुए, अतिधि के निषध हुए, निषध के नल हुए, नल के नभस, नभस के पुण्डरीक, पुण्डरीक के क्षेमधन्वा, क्षेमधन्वा के देवानीक, देवानीक के अहीनगर, अहीनर के रुरु, रुरु के पारियात्र, पारियात्रा के दल, दल के छल (शल), शल के उक्थ, उक्थ के वज्रनाभ, वज्रनाभ के शंखनाभ, शंखनाभ के व्यथिताश्व, व्यथिताश्व से विश्वसह, विश्वसह से हिरण्यनाभ, हिरण्यनाभ से पुष्य, पुष्य से ध्रुवसन्धि, ध्रुवसन्धि से सुदर्शन, सुदर्शन से अग्निवर्णा, अग्निवर्णा से शीघ्र, शीघ्र से मुरु, मरु से प्रसुश्रुत, प्रसुश्रुत से सुगवि, सुगवि से अमर्ष, अमर्ष से महास्वन, महास्वन से बृहदबल, बृहदबल से बृहत्क्षण (अभिमन्यु द्वारा मारा गया था), वृहत्क्षण से गुरुक्षेप, गुरक्षेप से वत्स, वत्स से वत्सव्यूह, वत्सव्यूह से प्रतिव्योम, प्रतिव्योम से दिवाकर, दिवाकर से सहदेव, सहदेव से बृहदश्व, वृहदश्व से भानुरथ, भानुरथ से सुप्रतीक, सुप्रतीक से मरुदेव, मरुदेव से सुनक्षत्र, सुनक्षत्र से किन्नर, किन्नर से अंतरिक्ष, अंतरिक्ष से सुवर्ण, सुवर्ण से अमित्रजित्, अमित्रजित् से वृहद्राज, वृहद्राज से धर्मी, धर्मी से कृतन्जय, कृतन्जय से रणन्जय, रणन्जय से संजय, संजय से शुद्धोदन, शुद्धोदन से शाक्य, शाक्य (गौतम बुद्ध) से राहुल, राहुल से प्रसेनजित, प्रसेनजित् से क्षुद्रक, क्षुद्रक से कुंडक, कुंडक से सुरथ, सुरथ से सुमित्र, सुमित्र के भाई कुरुम से कुरुम से कच्छ, कच्छ से बुधसेन।
बुधसेन से क्रमश: धर्मसेन, भजसेन, लोकसेन, लक्ष्मीसेन, रजसेन, रविसेन, करमसेन, कीर्तिसेन, महासेन, धर्मसेन, अमरसेन, अजसेन, अमृतसेन, इंद्रसेन, रजसेन, बिजयमई, स्योमई, देवमई, रिधिमई, रेवमई, सिद्धिमई, त्रिशंकुमई, श्याममई, महीमई, धर्ममई, कर्ममई, राममई, सूरतमई, शीशमई, सुरमई, शंकरमई, किशनमई, जसमई, गोतम, नल, ढोली, लछमनराम, राजाभाण, वजधाम (वज्रदानम), मधुब्रह्म, मंगलराम, क्रिमराम, मूलदेव, अनंगपाल, श्रीपाल (सूर्यपाल), सावन्तपाल, भीमपाल, गंगपाल, महंतपाल, महेंद्रपाल, राजपाल, पद्मपाल, आनन्दपाल, वंशपाल, विजयपाल, कामपाल, दीर्घपाल (ब्रह्मापल), विशनपाल, धुंधपाल, किशनपाल, निहंगपाल, भीमपाल, अजयपाल, स्वपाल (अश्वपाल), श्यामपाल, अंगपाल, पुहूपपाल, वसन्तपाल, हस्तिपाल, कामपाल, चंद्रपाल, गोविन्दपाल, उदयपाल, चंगपाल, रंगपाल, पुष्पपाल, हरिपाल, अमरपाल, छत्रपाल, महीपाल, धोरपाल, मुंगवपाल, पद्मपाल, रुद्रपाल, विशनपाल, विनयपाल, अच्छपाल (अक्षयपाल), भैंरूपाल, सहजपा,, देवपाल, त्रिलोचनपाल (बिलोचनपाल), विरोचनपाल, रसिकपाल, श्रीपाल (सरसपाल), सुरतपाल, सगुणपाल, अतिपाल, गजपाल (जनपाल), जोगेद्रपाल, भौजपाल (मजुपाल), रतनपाल, श्यामपा,, हरिचंदपाल, किशनपाल, बीरचन्दपाल, तिलोकपाल, धनपाल, मुनिकपाल, नखपाल (नयपाल), प्रतापपाल, धर्मपाल, भूपाल, देशपाल (पृथ्वीपाल), परमपाल, इंद्रपाल, गिरिपाल, रेवन्तपाल, मेहपाल (महिपाल), करणपाल, सुरंगपाल (श्रंगपाल), उग्रपाल, स्योपाल (शिवपाल), मानपाल, परशुपाल (विष्णुपाल), विरचिपाल (रतनपाल), गुणपाल, किशोरपाल (बुद्धपाल), सुरपाल, गंभीरपाल, तेजपाल, सिद्धिपाल (सिंहपाल), गुणपाल, ज्ञानपाल (तक गढ़ ग्यारियर राज किया), काहिनदेव, देवानीक, इसैसिंह (तक बांस बरेली में राज फिर ढूंढाड़ में आए), सोढ़देव, दूलहराय, काकिल, हणू (आमेर के टीकै बैठ्या), जान्हड़देव, पंजबन, मलेसी, बीजलदेव, राजदेव, कील्हणदेव, कुंतल, जीणसी (बाद में जोड़े गए), उदयकरण, नरसिंह, वणबीर, उद्धरण, चंद्रसेन, पृथ्वीराज सिंह (इस बीच पूणमल, भीम, आसकरण और राजसिंह भी गद्दी पर बैठे), भारमल, भगवन्तदास, मानसिंह, जगतसिंह (कंवर), महासिंह (आमेर में राजा नहीं हुए), भावसिंह गद्दी पर बैठे, महासिंह (मिर्जा राजा), रामसिंह प्रथम, किशनसिंह (कंवर, राजा नहीं हुए), कुंअर, विशनसिंह, सवाई जयसिंह, सवाई ईश्वरसिंह, सवाई मोधोसिंह, सवाई पृथ्वीसिंह, सवाई प्रतापसिंह, सवाई जगतसिंह, सवाई जयसिंह, सवाई जयसिंह तृतीय, सवाई रामसिंह द्वितीय, सवाई माधोसिंह द्वितीय, सवाई मानसिंह द्वितीय, सवाई भवानी सिंह (वर्तमान में गद्दी पर विराजमान हैं)
राम के दोनों पुत्रों में कुश का वंश आगे बढ़ा तो कुश से अतिथि और अतिथि से, निषधन से, नभ से, पुण्डरीक से, क्षेमन्धवा से, देवानीक से, अहीनक से, रुरु से, पारियात्र से, दल से, छल से, उक्थ से, वज्रनाभ से, गण से, व्युषिताश्व से, विश्वसह से, हिरण्यनाभ से, पुष्य से, ध्रुवसंधि से, सुदर्शन से, अग्रिवर्ण से, पद्मवर्ण से, शीघ्र से, मरु से, प्रयुश्रुत से, उदावसु से, नंदिवर्धन से, सकेतु से, देवरात से, बृहदुक्थ से, महावीर्य से, सुधृति से, धृष्टकेतु से, हर्यव से, मरु से, प्रतीन्धक से, कुतिरथ से, देवमीढ़ से, विबुध से, महाधृति से, कीर्तिरात से, महारोमा से, स्वर्णरोमा से और ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ।
इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। माना जाता है कि जो लोग खुद को शाक्यवंशी कहते हैं वे भी श्रीराम के वंशज हैं।