- जनकसिंह झाला यह एक ऐसा मंदिर जहाँ पर कोई देवी देवता की नहीं, बल्कि उस शख्स की पूजा की जाती है, जिसने अकेले के दम पर गुजरात में फिर से भाजपा का झंडा गाड़ दिया।
यह मंदिर शिव मंदिर, गणेश मंदिर, दुर्गा मंदिर या फिर हनुमान मंदिर के नाम से नहीं बल्कि 'मोदी मंदिर' के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान के रूप में स्वयं नरेन्द्र मोदी की तस्वीरें विराजमान हैं। यहाँ हर दिन सुबह-सुबह ढोल-मंजीरों के साथ मोदी की पूजा-अर्चना होती है।
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गुजरात के वांकानेर तालुका का भोजपरा गाँव शायद यह भारत का एक ऐसा गाँव होगा, जहाँ पर सपेरों की बस्ती है इस गाँव में सपेरों के 111 परिवार हैं। यहाँ पर साँप की बीन से ही दिन की शुरुआत होती है। सुबह-सुबह घर के मुखिया एक हाथ में बीन और बगल में साँप की टोकरी रखकर अपना और अपनी संतानों का पेट भरने के लिए रोजी-रोटी की जुगाड के लिए निकल जाते हैं।
सौराष्ट्र में 'वादी वसाहत' नाम से प्रचलित ये सपेरे करीबन दस साल पहले अपने परिवार को लेकर यहाँ पर स्थायी रूप से बस गए थे। उस समय उनके पास रहने के लिए छत नहीं थी, इसलिए उन्होंने तंबू डालकर ही अपनी जीवन शैली शुरू की।
उन्होंने हर मौसम और कठिनाइयों का सामना किया। उनकी यह हालत देखकर वहाँ के स्थानीय लोगों के मन में दया आई। उन्होंने इन सपेरों की मदद के लिए मोदी सरकार के सामने गुहार लगाई। सरकार ने भी उनकी मदद के लिए प्लॉट्स दिए और अंत में तंबू में रहने वाले इन 'वादी समाज' को सिर को पक्की छत मिल पाई।
सरकार की मदद से यहाँ पर बिजली-पानी की सुविधाएँ और बच्चों के लिए स्कूल का निर्माण हुआ। कोई मान भी नहीं सकता कि साँप और बिच्छू पकड़ने वाले इन सपेरों के बच्चे अब बीन बजाने के साथ-साथ कम्यूटर भी चला सकते हैं। इसके लिए वह गुजरात और खास तौर पर नरेन्द्र मोदी के आभारी हैं। इन लोगों की आँखों में मोदी कोई राजनेता नहीं बल्कि एक भगवान है।
उनका कहना है कि 'मोदी ही हमारा भगवान है'। वह मानते है की मोदी के कारण ही आज उनके बच्चे इस मुकाम पर पहुँचे हैं। ये लोग हर दिन सुबह नमो नरेन्द्र मोदी...का नमन करके अपने-अपने काम पर निकलते हैं।
मोदी का यह मंदिर अभी छोटा है, लेकिन वे लोग इसे बड़ा बनाना चाहते हैं। बहरहाल, उनका मानना है की मंदिर छोटा है तो क्या हुआ, मोदी के प्रति हमारी आस्था तो बड़ी है।