लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश सरकार पर पूर्ववर्ती बसपा सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों को मैनेज करने का आरोप लगाया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि चीनी मिलों की जांच जहां से प्रारम्भ हुई थी घूम-फिरकर फिर वहीं पहुंच गई है।
आधा कार्यकाल बीतने के बाद भी अखिलेश सरकार यह तय नहीं कर पा रही है कि चीनी मिल घोटाला सहित तमाम घोटालों की जांच किस प्रकार होगी, जांच कौन करेगा? जबकि खुद सपा ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि घोटालों के लिए एक आयोग बनाया जाएगा, जो समयबद्ध जांच करेगा, लेकिन सपा सरकार के गठन के 28 महीने बीतने के बाद भी आयोग के गठन की बात तक नहीं हुई।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि भाजपा ने बहुत पहले ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सपा और बसपा में मिलीभगत का आरोप लगाया था। अब यह सच्चाई सबके सामने है। आधा कार्यकाल बीतने के बाद अखिलेश सरकार यह तय ही नहीं कर सकी है कि चीनी मिल घोटाले सहित तमाम घोटालों की जांच किस प्रकार होगी यह जांच कौन करेगा? सपा सरकार अपना शेष कार्यकाल भी घोटालों की जांच को घुमाने में लगा देगी। नतीजा कुछ भी नहीं मिलेगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि सपा सरकार इस मामले में बसपा के अहसान उतार रही है। सपा-बसपा में एक-दूसरे के घोटालों से सुरक्षित रखने की जुगलबंदी है। 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती का सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर दिया गया बयान खूब चर्चित हुआ था। वह पहले चुनाव सभा में कहती थी कि बसपा की सरकार बनी तो घोटालों के आरोप में मुलायम सिंह यादव जेल में होंगें।
पाठक ने पूछा कि मायावती ने पांच वर्ष पूर्व बहुमत की सरकार चलाने के बाद भी घोटाले व भ्रष्टाचार की सजा दिलाना दूर, जांच को अंजाम तक पहुंचने नहीं दिया। इतिहास ने अपने को दोहराया। 2012 विधासभा चुनाव में अखिलेश यादव ने वही वादा किया। उनका कहना था कि सपा सरकार बनी तो घोटालों की जांच की जाएगी। मायावती तथा उनके आरोपी मंत्री जेल में होंगें।
भाजपा प्रवक्ता ने सवाल किया कि अखिलेश सरकार के वादे का क्या हुआ? सपा और बसपा एक-दूसरे को बचाने का काम कर रहे हैं। इसका खराब प्रभाव प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था पर पड़ रहा है। भ्रष्टाचार पर इन दोनों दलों की सहमति ने लोक कल्याण व्यवस्था को पीछे छोड़ दिया है। जो धन जनकल्याण में लगना चाहिए वह घोटालों की भेंट चढ़ रहा है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि चीनी मिल बिक्री घोटाले के आरोपियों को बचाने की बजाय उन पर कार्यवाही की जाए। सत्ता संरक्षण में हुई जनधन की लूट के असली मुजरिमों पर कार्यवाही हो।