नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने मंगलवार को कहा कि उसने सहारा समूह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत महाराष्ट्र के लोनावाला में 707 एकड़ में फैली आलीशान एंबी वैली सिटी (Aamby Valley City) और उसके आसपास के मनोरम क्षेत्र को कुर्क कर लिया है जिसकी कीमत 1,460 करोड़ रुपए है।
पुणे जिले में सह्याद्रि पर्वतीय क्षेत्र (Sahyadri hill range) में बसे इस आवासीय शहर को इसके निर्माताओं ने एक समय भारत का पहला नियोजित पहाड़ी शहर करार दिया था जिसमें लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली जीवनशैली का अनुभव देने के लिए बड़े गोल्फ कोर्स, झीलें, विला, लकड़ी के बने छोटे घर या झोपड़ियां हैं। 'एंबी वैली सिटी' मुंबई से लगभग 110 किमी और पुणे से लगभग 90 किमी दूर स्थित है।ALSO READ: 26/11 हमले के बाद बदल गया भारत-पाकिस्तान का रिश्ता, आखिर ऐसा क्यों बोले विदेश मंत्री जयशंकर
संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि उसके कोलकाता कार्यालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत 'एंबी वैली सिटी' को कुर्क करने के लिए एक अनंतिम आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया कि यह भूमि सहारा समूह की कंपनियों से प्राप्त धनराशि से बेनामी नामों से खरीदी गई थी।
एजेंसी ने कहा कि सहारा इंडिया और उसकी समूह की कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत लोनावाला (पुणे जिला) स्थित 'एंबी वैली सिटी' और उसके आसपास की कुल 707 एकड़ जमीन को कुर्क कर लिया गया है जिसका अनुमानित बाजार मूल्य 1460 करोड़ रुपए है। ईडी ने विभिन्न राज्यों के पुलिस विभागों में दर्ज 500 से अधिक प्राथमिकियों के बाद मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
ईडी ने ओडिशा, बिहार और राजस्थान पुलिस द्वारा 'हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड' (एचआईसीसीएसएल) और अन्य के खिलाफ दर्ज 3 प्राथमिकियों के अलावा सहारा समूह की कंपनियों और संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज 500 से अधिक शिकायतों का विश्लेषण किया। ईडी ने कहा कि इनमें से 300 से अधिक प्राथमिकी पीएमएलए के तहत अपराधों के लिए दर्ज की गई थीं।
एजेंसी के अनुसार ऐसे आरोप हैं कि निवेशकों को पैसे जमा करने के नाम पर 'धोखा' दिया गया और निवेशकों की बिना सहमति के उन्हें दोबारा से धन जमा करवाने के लिए मजबूर किया गया तथा बार-बार मांगे जाने पर भी निवेशकों को निवेश किए जाने के बाद परिपक्व हुई राशि का भुगतान नहीं किया गया।ALSO READ: वनवासी मजदूर भाई-बहनों की सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
ईडी ने कहा कि सहारा समूह विभिन्न संस्थाओं जैसे 'एचआईसीसीएसएल', 'सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड' (एससीसीएसएल), 'सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी' (एसयूएमसीएस), 'स्टार्स मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड' (एसएमसीएसएल), 'सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड' (एसआईसीसीएल), 'सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड' (एसआईआरईसीएल), 'सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड' (एसएचआईसीएल) और अन्य कंपनियों के जरिए पोंजी योजना चला रहा था।
इसने कहा कि समूह ने निवेशकर्ताओं और एजेंट को क्रमश: पैसा जमा करने पर अधिक मुनाफा मिलने और 'कमीशन' का लालच देकर धोखा दिया। समूह ने जमाकर्ताओं की किसी भी जानकारी या नियंत्रण के बिना गैर-विनियमित तरीके से एकत्र धन का उपयोग किया। ईडी ने कहा कि समूह ने निवेशकर्ताओं और एजेंट को कोई भी राशि नहीं दी। इसके बजाय जमाकर्ताओं को उनकी परिपक्व हो चुकी राशि को पुन: जमा करने के लिए मजबूर किया तथा जमाराशि को एक योजना से दूसरी योजना तथा अन्य संस्था में स्थानांतरित कर दिया।
इसमें कहा गया है कि गैर-भुगतान को छिपाने के लिए समूह ने बही खाता में हेराफेरी की ताकि एक योजना में पुनर्भुगतान दिखाया जा सके तथा पुनर्निवेश को किसी अन्य योजना में नए निवेश के रूप में दर्शाया जा सके। एजेंसी ने कहा कि समूह ने पोंजी योजना को जारी रखने के लिए परिपक्व हो चुकी राशि न चुकाए जाने के बावजूद इसमें नई जमाएं स्वीकार करना जारी रखा।
ईडी ने इस मामले में विभिन्न व्यक्तियों के बयान दर्ज किए हैं जिसमें सहारा समूह के जमाकर्ता, एजेंट, कर्मचारी तथा अन्य संबंधित व्यक्ति शामिल हैं। इससे पहले मामले में की गई तलाशी के दौरान 2.09 करोड़ रुपए की अस्पष्टीकृत नकदी जब्त की गई थी।(भाषा)