इलाहाबाद। राज्य सरकार ने 1984 में सिक्ख विरोधी दंगा पीड़ितों को केन्द्र के नुकसान का दस गुना मुआवजा देने के आदेश का पालन कर दिया है, जबकि याची का कहना है कि दिल्ली में मृत परिवारों को पांच लाख रुपए दिए गए हैं।
याची का कहना है कि राज्य सरकार ने मोतीलाल वोरा कमेटी की संस्तुतियों और केन्द्र सरकार के पैकेज को पूरी तरह से लागू नहीं किया है जबकि अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी का कहना है कि राज्य सरकार ने केन्द्र के नुकसान का दस गुना मुआवजा देने के आदेश का पालन कर दिया है। याची ने जो दो नाम दिए उनकी अर्जी ही सरकार को नहीं दी गई है।
1984 में सिक्ख विरोधी दंगा पीड़ितों को मुआवजा एवं पुनर्वास के पैकेज को लागू करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई 10 नवंबर को होगी। अदालत ने याची से सरकार द्वारा पैकेज पूरी तरह से लागू कर दिए जाने को लेकर दाखिल जवाबी हलफनामे का जवाब दाखिल करने का समय दिया है।
न्यायमूर्ति अरुण टंडन तथा न्यायमूर्ति राजीव जोशी की खण्डपीठ ने श्री गुरु सिंह सभा कानपुर की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर आज यह आदेश दिया है। याची का कहना है कि दिल्ली में मृत परिवारों को पांच लाख रुपए दिए गए हैं। (वार्ता)