-रत्नदीप रणसूर, नासिक से
महाराष्ट्र में जहां एक ओर कोरोनावायरस (Coronavirus) के रोगियों के लिए ऑक्सीजन की कमी है, वहीं ऑक्सीजन रिसाव के कारण नासिक के डॉ. जाकिर हुसैन अस्पताल में एक दिल दहलाने वाला हादसा हो गया। इस ऑक्सीजन रिसाव के चलते 25 से अधिक मरीजों की मौत हो गई। घटना के बाद स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने संभागीय आयुक्त राधाकृष्ण खेल की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए नियम बनाए जाएंगे। Ground Report में जानिए इस घटना की पूरी एवं सिलसिलेवार जानकारी...
25 लोगों की थम गईं सांसें : नासिक के जाकिर हुसैन अस्पताल में बुधवार दोपहर करीब 12.30 बजे ऑक्सीजन रिसाव हुआ। कुछ ही देर में हंगामा देखने को मिला। अस्पताल में वेंटिलेटर पर कई मरीज ऑक्सीजन की कमी की वजह से तड़प रहे थे। वहीं दूसरी ओर, प्रशासन रिसाव को रोकने के लिए प्रयास कर रहा था। लगभग डेढ़ घंटे के बाद ऑक्सीजन का रिसाव बंद हो पाया। वेंटिलेटर पर 150 लोग थे। उनमें से 25 की मौत हो गई।
क्या है ऑक्सीजन टैंक की कहानी : शहर में कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए महापालिका के डॉ. जाकिर हुसैन अस्पताल में 10 किलोग्राम लीटर की क्षमता वाला तथा नासिक रोड के न्यू बिट्को अस्पताल में 21 किलोलीटर की क्षमता वाला ऑक्सीजन टैंक स्थापित किया गया था। डेढ़ महीने पहले ही अस्पताल में इसका संचालन शुरू किया गया था। निगम के अनुसार इस प्रणाली का रखरखाव और मरम्मत संबंधित जिम्मेदारी ठेकेदार कंपनी की थी।
नगर निगम ने तरल ऑक्सीजन की तत्काल उपलब्धता के लिए एक नया टैंक खरीदा और स्थापित किया था। लेकिन, इसमें 3 से 4 महीने का समय लगता इसलिए तत्काल जरूरत पूरी के लिए दो अस्पतालों के लिए पुणे की एक कंपनी से 10 साल के लिए उपरोक्त टैंक लीज पर लिए गए थे। 10 किलो क्षमता वाले टैंक के लिए 4 लाख 24 हजार रुपए और 21 किलोग्राम क्षमता के टैंक के लिए 6 लाख 37 हजार रुपए का वार्षिक व्यय किया गया है। ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए जिम्मेदारी उसी कंपनी को दी गई थी। 15 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर की दर से रिचार्ज पर प्रतिवर्ष 2 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है।
ऑक्सीजन की मांग कम होने पर यह लागत कम-ज्यादा हो सकती है, यह मान लिया गया था। दो या तीन बार निविदा मंगवाने के बावजूद पुणे से केवल एक ठेकेदार निविदा के साथ आया। तत्काल कारण बताते हुए यह काम संबंधित संगठन को दिया गया था। इस संबंध में नगर आयुक्त कैलाश जाधव द्वारा उल्लेखित समझौते के अनुसार, टैंकों के रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी पुणे के टायो निप्पॉन सन्सो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पास है।
इस कंपनी को 10 साल के लिए रखरखाव की मरम्मत का काम दिया गया था। ऑक्सीजन प्लांट शुरू होने के दो महीने बाद ही टैंक की पाइप टूट गई। घटना के समय, अग्निशामकों ने मुख्य वाल्व को बंद कर दिया। कंपनी के तकनीशियन उस समय कहां थे, यह सवाल उठ रहे हैं।
अब अस्पतालों का होगा निरीक्षण : राज्य के कृषि मंत्री दादा भूस ने कहा कि डॉ जाकिर हुसैन अस्पताल में घटी घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सभी अस्पतालों की ऑक्सीजन परियोजनाओं का निरीक्षण किया जाएगा। तकनीकी मामलों का सत्यापन किया जाएगा। अस्पताल का दौरा करने के बाद उन्होंने कहा कि घटना की उच्च स्तरीय समिति द्वारा जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
उच्च स्तरीय समिति : इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए संभागीय आयुक्त राधाकृष्ण गमे की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। स्वास्थ्य उपनिदेशक पीडी गांडाळ, डॉ. प्रमोद गुंजाळ, तकनीकी विशेषज्ञ प्राचार्य ज्ञानदेव नाठे, स्वास्थ्य अधीक्षक रंजीत नलवाड़े, खाद्य एवं औषधि प्रशासन के सहायक निदेशक और चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. पाटिल भी समिति में शामिल है।
अज्ञात के खिलाफ प्रकरण दर्ज : वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक साजन सोनवणे द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, भद्रकाली पुलिस स्टेशन में इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भादंसं की धारा 304 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया है और घटना की जांच शुरू कर दी गई है।
इस त्रासदी के मद्देनजर कोई अन्य आपदा न हो, इसलिए एक दिन में स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न इमारतों का संरचनात्मक ऑडिट कराने का आदेश नासिक के लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता पीबी भोसले ने दिया है। स्ट्रक्चरल ऑडिट करते वक्त स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाया गया एयर कंडीशनिंग सिस्टम ऑक्सीजन की आपूर्ति की सामग्री के साथ ही भवन की वर्तमान स्थिति क्या है, इस संबंध में रिपोर्ट देना अनिवार्य किया है।
अब तक 2 लाख 37 हजार से ज्यादा मरीज हुए स्वस्थ : जिला अस्पताल द्वारा प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिले में 2 लाख 37 हजार 661 कोरोना रोगियों को छुट्टी दे दी गई है और वर्तमान में 46 हजार 967 रोगियों का इलाज चल रहा है और 3 हजार 177 मरीजों की अब तक मौत हो चुकी है। यह जानकारी जिला नोडल अधिकारी डॉ. अनंत पवार द्वारा दी गई।
जिले में मरीजों मरीजों के ठीक होने की दर ग्रामीण नासिक में 80.73 फीसदी, नासिक शहर में 83.46 फीसदी, मालेगांव में 81.94 फीसदी और बाहरी जिलों में 91.77 फीसदी है। जिले में ठीक होने की दर 82.58 है। ग्रामीण नासिक से 1,409, नासिक नगर निगम क्षेत्र से 1,439, मालेगांव नगर निगम क्षेत्र से 234 और जिले के बाहर से 95 सहित कुल 3,177 मरीजों की मौत हुई है।