राधास्वामी मत के प्रथम गुरु पूरन धानी महाराज की समाधि और मंदिर ताज महल के सामने दयालबाग में बनाया जा रहा है। विश्व में इस विचारधारा का पालन करने वाले 2 करोड़ से भी अधिक लोग हैं। मंदिर और समाधि स्थल, ताज की तरह ही 52 कुओं की नींव पर बना हुआ है। करीब 50 से 60 फुट गहराई तक पत्थरों को जमीन के अंदर डालकर उसके ऊपर पिलर लगाया गया है। इन पिलरों के ऊपर बन रहे गुंबद को इस तरह बनाया जा रहा है कि भूकंप या तूफान का असर इन पर न पड़े।
मंदिर का निर्माण 1904 में शुरू हुआ था। अब तक 112 साल बीत चुके हैं। अभी इसे बनकर पूरा होने में 10 साल और लग सकते हैं। मंदिर का नक्शा करीब 100 साल पहले इटली की एक कंपनी ने बनाया था। नक्शे में हर एक चीज तय है जैसे, किस जगह कौन-सा पेड़ लगेगा। पिछले 112 साल से करीब 200 मजदूर लगातार इस मंदिर को बना रहे हैं।
अब मजदूरों की चौथी पीढ़ी यहां काम कर रही है। इस मंदिर के बारे में एक बात और खास है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं से कोई दान भी नहीं लिया जाता। जबकि मंदिर के पदाधिकारियों ने स्वीकार किया है कि इसके निर्माण पर करीब 7 करोड़ रुपए सालाना खर्च हो रहे हैं। इसे बनाने में किसी तरह की सरकारी या गैर सरकारी मदद नहीं ली गई है। सिर्फ राधास्वामी सम्प्रदाय मत के अनुयायी ही अपने पैसे से इसका निर्माण करवा रहे हैं।