हजारे ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को पहला पत्र लिखकर 3 फरवरी को आबकारी नीति का विरोध किया था, लेकिन इसका कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इसके बाद मुख्यमंत्री को याद दिलाने के लिए उन्हें स्मरण पत्र भेजना पड़ा।
हजारे ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ मैंने अनिश्चितकालीन अनशन करने का फैसला किया है। मैंने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री (अजित पवार) को पत्र भेजा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।