मुनगंटीवार ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी फैसला लेने से पहले आबकारी राजस्व, चीनी उद्योग का अर्थशास्त्र, शराब के सेवन के कारण पेश आने वाले सेहत संबंधी मुद्दे और गैर सरकारी संगठनों तथा हजारे जैसे कार्यकर्ताओं की ओर से दबाव जैसे कई पहलुओं पर विचार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शराब की बिक्री से हर साल हमें लगभग 13,000 करोड़ र. का राजस्व मिलता है। अधिकारियों का सुझाव है कि यदि हम तमिलनाडु की तर्ज पर देसी शराब पर प्रतिबंध लगाते हैं तो इससे राजस्व में इजाफा हो सकता है।
तमिलनाडु ने देसी शराब पर रोक लगा दी है और इसकी जगह राज्य में विदेशी ब्रांड की सस्ती शराब उपलब्ध करवाई जा रही है। मंत्री ने बताया कि शराब की सभी दुकानें सरकारी हैं और इनसे कुल 23,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है।