आगामी केरल विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा जिस तरह से अपनी ताकत झोंकी है उससे राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। भाजपा को 25 सीटों से उम्मीदों हैं। पार्टी इन सीटों पर अपने कद्दावर उम्मीदवारों को खड़ा करना चाहती है।
2016 में भाजपा ने केरल विधानसभा चुनाव में पहली एक सीट जीती थी। यह जीत उसे तिरुवनंतपुरम जिले की नेमोम सीट पर मिली थी। इस सीट से भाजपा के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ओ राजगोपाल पहले भाजपा विधायक बने थे।
हालांकि इस बार के चुनाव में वृद्धावस्था और स्वास्थगत समस्याओं के कारण वे चुनाव मैदान में नहीं है। पार्टी ने उनकी जगह कुम्मनम राजशेखरन को मैदान में उतारा है। सीपीएम और कांग्रेस ने भी भाजपा को इस सीट पर कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर ली है। उसने अपने जाने-माने चेहरों भाजपा के गढ़ में अपना उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया है।
खबरें हैं कि ओमान चांडी नेमोम सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं। ओमान चांडी राज्य में कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा हैं, इसलिए केरल में इस बार भाजपा के लिए चुनाव उतना आसान नहीं होगा।
भाजपा को एक सीट की जीत से रोकने के लिए कांग्रेस और सीपीएम मजबूत रणनीति तैयार कर रही है। दूसरी तरफ भाजपा 25 सीटें जीतने के लिए पूरी ताकत के साथ लगी हुई है। अगर भगवा पार्टी राज्य में 25 सीटों पर जीत दर्ज कर लेती है तो यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।
केरल की बात करें तो यहां भाजपा की स्थिति देश के दूसरे राज्यों से अलग है। पार्टी के सामने सबसे बड़ी बाधा नेताओं के बीच एकता की कमी है। चुनाव परिणामों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस चुनाव में कितना बड़ा असर डाल पाएगी।
गृह मंत्री अमित शाह भाजपा के चुनाव कैंपेन की शुरुआत करने के लिए पिछले सप्ताह केरल पहुंचे थे। आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी केरल का दौरा करेंगे।