देहरादून। उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड प्रबंधन अधिनियम वापस लिए जाने की घोषणा के बाद चारधाम तीर्थ पुरोहितों, रावल समाज, पंडा समाज, हक हकूक धारियों के साथ ही अखाड़ा परिषद, विश्व हिन्दू परिषद आदि के सदस्यों ने मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी को संत समाज की ओर से भी धन्यवाद दिया। सभी ने मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए इस निर्णय को तीर्थस्थलों के हित में बताया।
इस अवसर पर चारधाम तीर्थ पुरोहित, हक हकूक धारी महापंचायत समिति के महामंत्री हरीश डिमरी, चारधाम तीर्थ पुरोहित मुख्य प्रवक्ता डॉ. ब्रजेश सती, श्री केदारनाथ पंडा समाज के विनोद शुक्ला, रावल गंगोत्री हरीश सेमवाल, रावल यमुनोत्री अनिरुद्ध उनियाल, सुरेश सेमवाल, विश्व हिन्दू परिषद के वीरेन्द्र कृतिपाल, विपिन जोशी सहित बड़ी संख्या में समिति के सदस्य एवं संत समाज के प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष 4 जुलाई को प्रदेश के मुख्य सेवक के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात देवस्थानम बोर्ड के संबंध में चारधाम से जुड़े तीर्थ पुरोहित, रावल, पंडा समाज, हक हकूक धारियों एवं जनप्रतिनिधियों के स्तर पर अलग-अलग प्रकार की प्रतिक्रिया सामने आई। इस संबंध में सभी तथ्यों पर विचार करने के पश्चात राज्य सरकार द्वारा पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। समिति द्वारा 3 माह में अपनी अंतरिम रिपोर्ट राज्य सरकार को उपलब्ध कराने के साथ ही अंतिम प्रतिवेदन भी राज्य सरकार को उपलब्ध कराया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार चारधामों सहित अन्य स्थानों में सभी संबंधित लोगों से परामर्श कर इन स्थानों पर बेहतर व्यवस्था संपादित हो सके, इसके प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने अधिनियम वापस लिए जाने की घोषणा के साथ चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के साथ ही अन्य संबंधित लोगों से अपना आंदोलन वापस लेने का भी अनुरोध किया।
उन्होंने सभी से चारधाम सहित अन्य तीर्थस्थलों पर बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के लिए सहयोग की भी अपेक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि देशकाल परिस्थिति के अनुसार सभी संबंधित विषयों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी के सहयोग से इन स्थानों पर बेहतर व्यवस्था बनाने का हमारा प्रयास रहेगा।