इसके बाद उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल की ये पंक्तियां पढ़ीं, पलट देते हैं हम मौजे हवादिस अपनी जुर्रत से हमने आंधियों में भी चिराग अक्सर जलाए हैं। वहीं अपने बजट भाषण में कर प्रस्तावों की शुरुआत से पहले गहलोत ने कहा, मैं सभी माननीय सदस्यों से यह भी कहना चाहूंगा कि उन्नति के इस सफर पर हम सबको साथ और बहुत दूर तक चलना है।
इसके बाद उन्होंने यह पंक्तियां पढ़ीं : रे हौसलों में अभी जान बाकी है, यह तो दौड़ भर थी, अभी उड़ान बाकी है, मेरी सादगी से मेरे बारे में अंदाजा मत लगाना, यह तो शुरुआत भर थी अंजाम अभी बाकी है। इसके साथ ही गहलोत ने सामने बैठे प्रतिपक्ष की ओर चुटकी लेते हुए कहा कि कहा कि कोरोना जब शुरू हुआ तो बहुत कुछ आशंकाएं विपक्ष व्यक्त कर रहा था और कह रहा था कि आने दो बजट देखेंगे, लेकिन 'यह जादूगर की यह जादूगरी है देखो आप.. आगे-आगे देखते जाओ आप।
गहलोत ने अपने बजट भाषण का समापन इन पंक्तियों के साथ किया... निगाहों में मंजिल थी, गिरे और गिरकर संभलते रहे हवाओं ने बहुत कोशिश की, मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे।गहलोत ने अपने लगभग 110 पन्नों के बजट भाषण को लगभग 2.50 घंटे में पढ़ा और इस दौरान उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, राजीव गांधी व मदर टेरेसा सहित कई हस्तियों को उद्धृत किया।(भाषा)