व्यापमं परीक्षाओं में अभ्यर्थियों और अधिकारियों की मिलीभगत से हुए इस घोटाले की जांच सर्वोच्च न्यायालय ने जुलाई 2015 में सीबीआई को सौंप दी थी। इस संबंध में एसटीएफ स्तर पर लंबित शिकायतों की जांच निष्पक्षतापूर्वक कराने के लिए प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने सितंबर 2019 में शिकायतों की जांच और विधिसम्मत कार्यवाही करने के आदेश दिए।
जिसमें पता चला कि सीमा पटेल ने पीएमटी वर्ष 2004, विकास अग्रवाल ने पीएमटी वर्ष 2005 और सीताराम शर्मा ने 2009 की परीक्षा में कूटरचित मूल निवासी प्रमाण पत्र की सहायता से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया है। इस मामले में एसटीएफ ने तीनों अभ्यर्थियों के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज का उपयोग करने का अपराध कायम कर जांच शुरू कर दी है।