समल ने बताया कि नदी जिसके पास मैं बर्तन धो रही थी, वहां कभी मगरमच्छ नहीं आते। किसी ने भी पहले कभी वहां कोई मगरमच्छ नहीं देखा। मगरमच्छ ने मुझ पर अचानक से हमला कर दिया जिसके चलते मुझे समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं।
समल ने बताया कि एल्युमीनियम का पतीला और खाना बनाने वाली कलछी जिन्हें मैं धोने के लिए लाई थी, उन्हीं की मदद से मैं बच पाई। वहां से बचना एक चमत्कार था। मगरमच्छ ने मुझ पर झपट्टा मारा और मुझे पानी में खींचने लगा। मैं पूरी तरह पानी के अंदर जाने ही वाली थी कि मैंने बर्तनों से मगरमच्छ के सर और आंख पर वार किया जिसके बाद मगरमच्छ ने मुझे धीरे-धीरे छोड़ दिया।