जुम्मे की नमाज से पहले कश्मीर में कर्फ्यू

शुक्रवार, 15 जुलाई 2016 (11:36 IST)
श्रीनगर। जुम्मे की नमाज में जुटने वाली भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने ताजा हिंसा की आशंका के मद्देनजर कश्मीर में शुक्रवार को कर्फ्यू लगा दिया। पिछले सप्ताह हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद हुई झड़पों में 36 लोग मारे जा चुके हैं और 3,100 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं।
 
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐहतियाती कदम के तहत कश्मीर घाटी के सभी 10 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। बीते शनिवार से कश्मीर में जनजीवन अस्त-व्यस्त है और एक बेचैन करने वाली चुप्पी यहां पसरी हुई है। हालांकि कश्मीर के किसी भी हिस्से से गुरुवार को किसी बड़ी झड़प की खबर नहीं आई थी।
 
अधिकारी ने कहा कि कर्फ्यू लगाने का फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि इस बात की आशंका है कि जुम्मे की नमाज के लिए बड़ी संख्या में जुटे लोगों का कुछ निहित स्वार्थों के तहत ताजा हिंसा भड़काने के लिए फायदा उठाया जा सकता है।
 
अधिकारी ने कहा कि पुलिस और अर्द्धसैन्य बलों के जवानों को बड़ी संख्या में घाटी में तैनात किया गया है ताकि निषेधाज्ञा का सख्ती के साथ पालन हो। अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए प्रशासन ने मोबाइल टेलीफोन सेवाओं को फिलहाल निलंबित कर दिया है। अधिकारी ने कहा कि सिर्फ बीएसएनएल के पोस्टपेड कनेक्शन ही काम कर रहे हैं। 
 
हालांकि अधिकारी ने बीएसएनएल के पोस्टपेड कनेक्शन चलते रहने देने की कोई वजह नहीं बताई लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि तुलनात्मक रूप से कम संख्या वाले इन मोबाइल कनेक्शन को चलने दिया गया है, क्योंकि अधिकतर सरकारी और पुलिस अधिकारी इस सेवा का इस्तेमाल करते हैं। घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं लगातार 7वें दिन निलंबित हैं और ट्रेनें भी नहीं चल रही हैं।
 
हिजबुल के आतंकी बुरहान वानी और उसके 2 साथियों की सुरक्षा बलों के साथ 8 जुलाई को हुई मुठभेड़ में मौत हो गई थी। अनंतनाग जिले के कोकेरनाग इलाके में हुई इस मुठभेड़ के बाद कश्मीर में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।
 
सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में 1 पुलिसकर्मी समेत 36 लोग मारे गए हैं जबकि 1,500 सुरक्षाकर्मियों समेत 3140 लोग घायल हो गए हैं। अलगाववादियों की ओर से बुलाए गए बंद के कारण और प्रशासन की ओर से लगाए गए कर्फ्यू जैसे प्रतिबंधों के कारण शनिवार के बाद से ही घाटी में सामान्य जनजीवन में पंगुता आ गई है।
 
अलगाववादी समूहों- हुर्रियत कांफ्रेंस और जेकेएलएफ के दोनों धड़े एक समय पर 2 दिन के बंद की अपील करते रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2010 की गर्मियों के दौरान हुए आंदोलन में भी ऐसा ही किया था। तब 120 लोग मारे गए थे। (भाषा)

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