दान उत्सव पर "गूंज" संस्था का विशेष अभियान : "दिल की सुनो, कुछ करो"

2 अक्टूबर से लेकर 8 अक्टूबर 2018 तक, पूरे देश में दान उत्सव मनाया जा रहा है। साल भर के इस त्योहार का मतलब है, देने की खुशी का त्यौहार। इस कड़ी में गूंज संस्था द्वारा भी दान उत्सव मनाया जा रहा है।
 
"गूंज" देश के 23 राज्यों में काम करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था है, जो शहरों के सामान को दूर दराज के गांवो में विकास के कामों के लिए पहुंचाती है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए इस बार के "दान उत्सव" में गूंज ने  "दिल की सुनो, कुछ करो" अभियान की शुरुआत की है। ऐसे में देश के हर नागरिक के पास यह सुनहरा अवसर है कि वह इस अभियान से जुड़कर देश के उन हिस्सों के विकास के लिए गरिमा के साथ आर्थिक व भौतिक योगदान करे, जहां लोग अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए आज भी संघर्षरत है। गूंज इस सामग्री को देश के अति पिछड़े क्षेत्रों के सामुदायिक विकास कार्य हेतु पुरस्कार के तौर पर पहुंचाएगा। 
 
"गूंज" संस्थापक व निदेशक अंशु गुप्ता का इस अभियान के बारे में कहना है कि "समाज को वापस देना असल में हमारा नैतिक कर्तव्य है। खास तौर पर उनके लिए, जो भारत के गांवों से हैं, क्योंकि हम सभी एक अच्छे देश में रहना चाहते हैं।"
 
देश के शहरों से लोग इन सामानों का योगदान "गूंज" कार्यालयों और कई शहरों में खोले गए अस्थायी सार्वजनिक संग्रह केंद्र में कर सकते हैं। इसके लिए आप "गूंज" के दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु, ऋषिकेश, कोलकाता और चेन्नई के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। खास तौर से ठंड के कपड़े और कंबल, स्कूल की सामग्री, चादर, पर्दे, बच्चों के कपड़े, बर्तन और पैसे दे सकते हैं।
 
2 अक्टूबर, 2018 से शुरू हो रहे इस अभियान में "गूंज" के वालंटियर्स देश भर के अलग-अलग इलाकों में कैंप लगाएंगे। खास तौर से रायपुर, इंदौर, रांची, लुधियाना, जलंधर, शिमला, देहरादून, ऋषिकेश, लखनऊ, मेरठ, नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव, फरीदाबाद, नवी मुंबई, ठाणे, पुणे, गोवा, अहमदाबाद और सूरत में कलेक्शन कैंप आयोजित किए जाएंगे। सामान्यत: यह कैंप आवासीय क्षेत्रों, स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों और अन्य प्रतिष्ठानों में आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा इस साल 100 से अधिक बसें और अन्य वाहन भी इस अभियान का हिस्सा बनेंगे। ये बसें निश्चित रास्तों से कुछ शहरों के अंदर जाकर इकट्ठा किए गए सामानो को "गूंज" कार्यालय तक पहुंचाएंगी। 
 
"गूंज" के बारे में - 
 
"गूंज" एक ऐसी स्वंयसेवी संस्था है जो शहरों के कम इस्तेमाल किए गए सामान को देश के गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए इस्तेमाल करता है। यह संस्था सालाना 3,000 टन से अधिक सामग्री के साथ काम करती है। "गूंज" इस सामग्री को एक समानांतर मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करती है, जिसकी सहायता से गांवो से जुड़े विकास कार्य किए जाते हैं। इनमें जलाशयों को रिचार्ज करने, बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण, शिक्षा के लिए बड़े पैमाने पर विकास कार्य किया जाता है। विकास के ये मुद्दे ग्रामीण खुद ही चिन्हित करते हैं।
 
"गूंज" ने अपने काम की बदौलत आपदा, राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए एक नई परिभाषा गढ़ी है, जिसे आज एक परिवर्तन के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा मासिक धर्म से जुड़ी स्वच्छता का सबसे उपेक्षित मुद्दे को भी "गूंज"  ने बड़ी प्रमुखता से उठाया है, जिसके सामाधान के लिए साफ एवं सूती कपड़े को एक बेहतर विकल्प के रुप में प्रदान किया है। 

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