नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया और कहा कि सड़कों पर भीख मांगने वाले लोग खुशी से यह काम नहीं करते हैं, बल्कि यह उनके लिए अपनी जरूरतें पूरी करने का अंतिम उपाय है।
अदालत ने कहा कि भीख मांगने को अपराध की श्रेणी में रखना समाज के सबसे कमजोर तबके के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। साथ ही अदालत ने जीवन के अधिकार के तहत सभी नागरिकों के जीवन की न्यूनतम जरूरतें पूरी नहीं कर पाने के लिए सरकार को जिम्मेदार बताया। इस कृत्य पर दंडित करने के प्रावधान असंवैधानिक हैं और वे रद्द किए जाने लायक हैं।