जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में "सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण" विषय पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें देवास जिले के टप्पा के करीब 10 गांवों से ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं को IDSSS इंदौर डाईसीज़ सोशल सर्विस सोसाइटी द्वारा इस कार्यशाला में भाग लेने हेतु लाया गया था।
इन महिलाओं का यह प्रशिक्षण केंद्र के एक भ्रमण के साथ शुरू हुआ। इस भ्रमण में उन्हें एक एकड़ के छोटे से गाय केंद्रित आत्मनिर्भर, जैव विविधता जैव विविधता वाले जैविक खेती से 64 खाद्य उत्पादों के साथ-साथ सोलर ऊर्जा के अनेकों उपकरणों का अवलोकन कराया गया। इसमें विशेष रूप से 13 प्रकार के विभिन्न सोलर कुकर और सौर पवन बिजली स्टेशन था जो गांव के भूमिहीन श्रमिक परिवारों को 6 से भी अधिक समय से निशुल्क बिजली आपूर्ति प्रदान कर रहा है। इसमें एक ब्रिकेटिंग यूनिट भी खास था जिसमें इस्तेमाल किए गए रद्दी कागज व कृषि अपशिष्टों के जरिए वैकल्पिक ईंधन का उत्पादन होता है। इसके अलावा घर के लिए सोलह ड्रायर्स, सौर लालटेन, सौर रेडियो, फोन चार्जर जैसे उपकरणों के साथ-साथ सोलर रसोईघर में लगे शेफलर डिश देखना काफी रोमांचक अनुभव रहा।
महिलाओं का कहना था कि "हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते, यह हमारे लिए एक चमत्कार की तरह है, हम लकड़ी या गोबर के कंडो से साथ धुएं में खाना बनाते हैं, हमें सोलर कुकर कैसे मिल सकते हैं? हमने सोचा नहीं था कि हम इतने सारे तकनीकों को देख सकते हैं और अपने क्षेत्रों से 80 किलोमीटर दूर स्वस्थ जीवन जीने के कई तरीके सीख सकते हैं।"
सेंटर की निदेशिका डॉ. श्रीमती जनक पलटा मगिलिगन ने महिला सशक्तिकरण को पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम दिखाया। प्रशिक्षण लेने वालों के अनुसार "आपका जीवन हमें ज्ञान, अनुभव और प्रेरणा की रोशनी देता है। अगर एक महिला ग्रामीण महिलाओं के बारे में इतना सोच और कर सकती है, तो हम खुद को और सभी महिलाएं मिलकर और अधिक वृक्षारोपण करके लोगों और धरती मां को बचाने के लिए जा कर अपने अपने गांव में काम करेंगे। कचरा नहीं करेंगे और सोलर चूल्हे लगाएंगे। जहरमुक्त खेती की तरफ मुड़ेंगे। हम होली के लिए प्राकृतिक रंग बनाने, सोलर कूकिंग सीखने आएंगे। "