वाराणसी। गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए सालों से योजनाएं चल रही हैं, लेकिन इसका नजीता कागजों पर ही दिखाई दिया है। कोरोनाकाल में गंगा में शव बहाने के दृश्य भी नजर आए थे। अब खबरें हैं कि काशी में प्रदूषण के कारण गंगा का रंग बदलने लगा है। गंगा का रंग हरा दिखाई देने लगा है।
काशी के घाटों में नालों से बहता गंदा पानी मिलता था, लेकिन अब हरा रंग दिखाई देने लगा है। मणिकर्णिका, सिंधिया, संकठा व गंगा महल सहित आधा दर्जन घाटों के किनारे तीन-चार दिन से जमी काई की मोटी परत से पानी हरा दिखने लगा है।
काशी में बसे लोगों का रंग बदलने पर कहना है कि गंगा में निर्माण के कारण मिट्टी का प्रवाह रुक गया इससे गंगा के किनारों पर काफी दूर तक हर रंग की काई जमने लगी है। पर्यावरण विशेषज्ञ इसे गंगा के लिए उचित नहीं मान रहे हैं। पिछले वर्ष लॉकडाउन के दौरान कारखाने, उद्योग बंद रहने से गंगा का पानी और स्वच्छ होने लगा था और पतित पावनी गंगा एक बार फिर आचमन योग्य हुई थी।