जीएसटी के लागू होने से जॉब वर्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी और इन सामानों की खरीद-बिक्री पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया है, जिससे लगभग पाँच हजार इकाइयाँ निष्क्रिय हो गई हैं और बंद होने की कगार पर पहुंच गई हैं। इन सूक्ष्म और लघु उद्यमों में से अधिकांश उद्यम कालीन बुनाई वाले क्षेत्र में हैं।
पुराने अनुबंधों के कारण खरीददारों से अधिक पैसे नहीं मिल रहे हैं और पैसा खोने की चिंता सता रही है। करीब दो हजार करोड़ रुपए मूल्य के निर्यात ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं और विलासिता के सामान पर विश्व बाजार में लगातार संघर्ष की स्थिति जारी रहने के कारण आयातकों ने बढ़ी हुई लागत पर ऑर्डर देने से इनकार कर दिया है।
इस इनकार से कालीन उत्पादक क्षेत्र उत्तर प्रदेश में भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी, घोसिया, औराई, आगरा, सोनभद्र, सहारनपुर, सहजनपुर, जौनपुर, राजस्थान में जयपुर, टोंक, बीकानेर, हरियाणा में पानीपत, सोनीपत, करनाल, जम्मू-कश्मीर में बारामूला, पांडिपुर, अनंतनाग, बड़गाम, लेह, पुलवामा, कुपवाड़ा, पट्टन, कनिहामा, श्रीनगर आदि में करीब 20 लाख कारीगरों और उनके परिवारों की आजीविका प्रभावित हुई है।
भारत वर्तमान में विश्व बाजार में कालीन के क्षेत्रफल और डॉलर में इसकी कीमत दोनों के मामले में पहले नंबर पर है, लेकिन अब यह अपनी वर्तमान स्थिति को चीन, ईरान, तुर्की, पाकिस्तान और नेपाल जैसे अन्य प्रतिस्पर्धी देशों के कारण खो देगा।
बयान जारी करने वालों अखिल भारतीय कालीन विनिर्माण संघ भदोही, पूर्वी उत्तर प्रदेश निर्यातक संघ, वाराणसी, आगरा कालीन निर्माता संघ, राजस्थान कालीन निर्माता और निर्यातक संघ, पानीपत कालीन निर्माता संघ, भारतीय फ्लोर कवरिंग निर्यातक संघ, दिल्ली निर्यातक संघ, कश्मीर वाणिज्य एवं उद्योग चैम्बर, कश्मीर हस्तशिल्प निर्माता और निर्यातक संघ आदि शामिल हैं। (वार्ता)