याचिकाकर्ता जिग्नेश पटेल के वकील एमटी सैयद ने गुरुवार को कहा कि भरुच के कलेक्टर एक साल से अधिक समय से पटेल का आवेदन रोके हुए हैं, जबकि फरवरी 2020 में एक सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) की जांच रिपोर्ट में इस संबंध में अनुकूल राय दी गई थी कि उन्हें धर्मांतरण की अनुमति दी जा सकती है।
पटेल के वकील ने कहा, भरुच में कलेक्टर की अनुमति के लिए आवेदन एक वर्ष से अधिक समय से लंबित है। याचिका कलेक्टर को आवेदन पर फैसले के लिए निर्देश देने के लिए दायर की गई थी।सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट में यह स्थापित हुआ था कि पटेल पर धर्मपरिवर्तन का दबाव नहीं है, जिसका उल्लेख राज्य के धर्मांतरण निरोधक कानून में है।
पटेल ने आवेदन 26 नवंबर, 2019 को कलेक्टर के पास इस घोषणा के साथ दिया था कि धर्मांतरण के लिए उस पर न तो कोई दबाव है और न ही वह ऐसा किसी लालच में कर रहा है। याचिकाकर्ता ने अपने हलफनामे में कहा था कि वह इस्लाम के प्रति आकर्षित था और धर्म को अपनाना चाहता है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि वह छह साल से मुस्लिमों की तरह रह रहा है, उसने कहा कि वह रमजान के दौरान रोजा रखता है, नमाज अदा करता है और और इस धर्म से जुड़े अन्य रिवाजों का पालन करता है।
जिग्नेश पटेल ने उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा कि उसके आवेदन को इमरान पटेल नाम के एक व्यक्ति द्वारा भी समर्थन किया गया था, जिसे धर्मांतरण का नेतृत्व करना था। उसने कहा कि उक्त कार्यक्रम पहले एक जनवरी, 2020 को होने वाला था, लेकिन कलेक्टर ने कोई जवाब नहीं दिया।(भाषा)