इस संबंध में एक व्यक्ति द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद गरुड़ाचार को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दोषी पाया गया है। सजा दो साल से कम होने के कारण अदालत ने उन्हें उच्चतर अदालत में अपील करने की अनुमति देते हुए जमानत दे दी। गरुड़ाचार को 25,000 रुपए के निजी मुचलके और जमानत राशि पर रिहा किया गया।
यह आरोप लगाया गया था कि गरुड़ाचार निजी कंपनी के प्रबंध निदेशक थे, लेकिन उनके हलफनामे में उनका उल्लेख केवल एक निवेशक के रूप में किया गया था। उनकी पत्नी उसी कंपनी की निदेशक थीं, जिसका जिक्र भी चुनावी हलफनामे में नहीं था। यह भी पाया गया कि उन्होंने हलफनामे में अपनी पत्नी के बैंक खाते के विवरण का उल्लेख नहीं किया था।
विधायक के खिलाफ अदालत द्वारा दर्ज किए गए आरोप में कहा गया कि आरोपी लंबित आपराधिक मामले से अवगत था, आरोपी ने हलफनामे में इसका उल्लेख नहीं किया था। आरोपी ने झूठा हलफनामा दिया और इसे निर्वाचन अधिकारी के सामने प्रस्तुत किया।
अदालत ने कहा कि हलफनामे में आरोपी को अपनी पत्नी का बैंक बैलेंस का विवरण देना था, लेकिन उसने उक्त हलफनामे को दाखिल करने की तिथि के अनुसार उनके खाते में वास्तविक शेष राशि का उल्लेख नहीं किया। आरोपी ने हलफनामे में यह भी कहा कि वह निजी कंपनी और अन्य में निवेशक है। सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि विधायक के खिलाफ आरोप साबित हुए हैं। (भाषा)