उन्होंने बताया कि जिस तरह देश में मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिक उन्माद का माहौल बनाया जा रहा है और अखलाक, पहलू खान तथा अब जुनैद की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की गई, इससे व्यथित होकर उन्होंने पुरस्कार लौटने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से हिन्दू राष्ट्र बनाने की कोशिशें चल रही हैं और उसके लिए देश में मुसलमानों के खिलाफ घृणित प्रचार किया जा रहा है, जिसका नतीजा यह है कि जुनैद जैसा किशोर भी भीड़ द्वारा पीट-पीटकर सरेआम मार दिया जा रहा है और सरकार तमाशबीन बनी रहती है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग इस मुद्दे पर खुलकर साथ नहीं देता और उनके अधिकारों की रक्षा नहीं कर पाता, इसलिए उसके विरोध में उन्होंने पुरस्कार लौटा दिया। इस पुरस्कार में नकद राशि शामिल नहीं है। (वार्ता)