इससे पहले भगवान महाकालेश्वर की शाही सवारी धूमधाम से निकाली गई। पालकी में विराजित मनमहेश जैसे ही महाकाल मन्दिर परिसर से बाहर आए, कड़ाबीन और धमाकों से लोगों को राजाधिराज के आने की सूचना दी गई। समूचा परिवर्तित सवारी मार्ग ध्वज, वंदनवार एवं गुब्बारों एवं फूलों से सजाया गया था।
सवारी के लिए मार्ग में लाल कालीन बिछायी गई। सवारी के आगे नगर के राजा के सम्मान में घुड़सवार दल चल रहा था। पीछे पुलिस बैंड ‘ओम नम: शिवाय’ की धुन बजाते हुए निकला। इसके पूर्व महाकालेश्वर मन्दिर के सभा मण्डप में भगवान श्री मनमहेश का विधिवत पूजन-अर्चन पुजारी घनश्याम शर्मा द्वारा किया गया एवं उन्हें पालकी में विराजित किया गया। सभा मण्डप में संभागायुक्त आनन्द कुमार शर्मा ने सपत्नीक भगवान मनमहेश का विधिवत पूजन-अर्चन किया एवं आरती उतारी।
परिवर्तित मार्ग अनुसार भगवान महाकालेश्वर की सवारी महाकाल मन्दिर से बड़ा गणेश मन्दिर होते हुए हरसिद्धि मन्दिर चौराहा पहुंची। यहां से झालरिया मठ और बालमुकुंद आश्रम होते हुए सवारी रामघाट पर पहुंची, जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया, उच्च शिक्षामंत्री डॉ. मोहन यादव, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, कृषि मंत्री कमल पटेल, सांसद अनिल फिरोजिया द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना की गई।