गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा की अध्यक्ष कुसुम शाह, विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान के मंत्री अतुल प्रभाकर, वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकर्मी प्रसून लतांत, साहित्यकार सदानंद कविश्वर, साहित्यकार अंजू खरबंदा और पुष्प शर्मा मौजूद थे।
द्विवेदी ने बीते एक दशक में अपनी लेखनी से पाठकों और श्रोताओं के बीच विशिष्ट पहचान बनाई है। आकाशवाणी के दिल्ली और लखनऊ केंद्र में द्विवेदी कई बार काव्य पाठ कर चुके हैं। इसके अलावा आजतक साहित्यिकी और विश्व पुस्तक मेले में भी उन्होंने दस्तक दी है। उनका लेखन से गहरा जुड़ाव है। पर्यावरण, जल संरक्षण और गौरेया पर लिखी उनकी कविताएं चर्चित रही हैं। वहीं बाघ संरक्षण पर अंग्रेजी में निकलने वाली पत्रिका में भी इनकी हिंदी कविता प्रकाशित हुई।
द्विवेदी की कंकरीट के जंगल, तीन साझा कहानी संग्रह, दस साझा काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें साहित्य में योगदान के लिए मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के कार्यक्रम पचमढ़ी (2016) में सम्मानित किया। कविता नदी कुछ सोच रही को भी प्रतिपल काव्य सम्मान मिल चुका है।