अब कश्मीर घाटी में छाया है चोटी कटवा गैंग का खौफ

श्रीनगर। फिलहाल कश्मीर में देश विरोधी या सुरक्षाबल विरोधी प्रदर्शनों पर ब्रेक लगी हुई है। ऐसा भी नहीं है कि कश्मीर सुधर गया हो बल्कि चोटी कटवा गैंग की बढ़ती हरकतों के कारण कश्मीरी सबसे पहले उनसे निपट लेना चाहते हैं। हालत यह है कि राज्य पुलिस को भी गुत्थी सुलझाने में जी जान से इसलिए जुटना पड़ा है क्योंकि मुख्यमंत्री के निर्देश हैं और अलगाववादी नेताओं को तो जैसे मौका मिल गया हो अपनी राजनीति चमकाने का।
 
चोटी काटने वाले गिरोह की दहशत का ही नतीजा है कि गांवों या कस्बों में प्रेमी पिछले कई दिनों से एक दूसरे से मिल नहीं पा रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि डेलिना में एक आशिक नईम मल्ला की उस समय पिटाई कर दी गई थी जब वह अपनी प्रेमिका से मिलने गांव आया। उसे चोटी काटने वाले गिरोह का सदस्य समझ लिया गया था। कितने प्रेमी चोटी कटवा गिरोह के चक्कर में पीटे जा चुके हैं, अब कोई गिनती भी नहीं है।
 
कुछ ऐसी ही हालत बाबादेब की रहने वाली इकरा और निजात के साथ हुई थी। दोनों बुर्के में अपने रिश्तेदार की शादी में शिरकत के लिए घर से निकली ही थीं कि दोनों को चोटी काटने वाले गिरोह का सदस्य मान लोगों ने घेर लिया। पिटाई भी हो गई और जब राज खुला तो सभी हतप्रभ रह गए। अब तो ऐसी कई घटनाओं की भरमार हो गई है कश्मीर में।
 
अभी तक कितनी औरतों और युवतियों की चोटी कश्मीर वादी में कट चुकी है कोई आंकड़ा इसलिए भी नहीं है क्योंकि आधिकारिक तौर पर किसी ने पुलिस के पास एफआईआर दर्ज ही नहीं करवाई है। लेकिन व्हाट्सएप ग्रुपों पर ऐसी घटनाओं की भरमार जरूर है। कश्मीर में फिर से एक्टिव हुए व्हाट्सएप ग्रुपों के अनुसार, तो प्रतिदिन 5 से 6 युवतियों की चोटी काटी जा रही हैं। हालांकि पुलिस इस आकंड़े को गलत बताती है।
 
चर्चा का विषय यह नहीं है कि कितनी चोटियां काटी गई हैं बल्कि इस घटनाक्रम ने कश्मीर के हालात पर क्या प्रभाव डाला है वह चिंताजनक है। शायद ही कोई शहर या कस्बा बचा है जहां चोटी काटने की घटनाओं को लेकर विरोध प्रदर्शन न हुए हों। कई जगह तो यह प्रदर्शन हिंसक भी हो चुके हैं।
 
इतना ही नहीं अलगाववादी नेताओं ने तो आतंकियों के साथ मिलकर राज्य सरकार तथा सुरक्षाबलों के खिलाफ वाकयुद्ध छेड़ते हुए मोर्चा खोल दिया है। अलगाववादी हुर्रियत नेताओं के बयानों में फिलहाल चोटी काटने की घटनाएं ही छाई हुई हैं। वे सभी इसे सुरक्षाबलों की साजिश करार देते हैं। अगर सईद अली शाह गिलानी कहते हैं कि यह कश्मीरी समाज में फूट डलवाने की साजिश है तो हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर नाइकू का ऑडियो संदेश कहता है यह आतंकी कमांडरों को पकड़ने की नई रणनीति है। 
 
कश्मीर पुलिस बस यही बयान देकर खामोश है कि वह ऐसी घटनाओं का फायदा अलगाववादियों को नहीं लेने देगी। कश्मीर पुलिस ऐसे मामलों में चोटी काटने वाले गैंग के सदस्यों की गिरफ्तारी पर 6 लाख रुपए का इनाम घोषित करने के अतिरिक्त कुछ भी नहीं कर पाई है। यह कदम भी उसने तभी उठाया जब मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की ओर से सख्त निर्देश मिले थे।

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