बनर्जी ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि यह केंद्र द्वारा राज्य के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करने और पश्चिम बंगाल में सेवारत अधिकारियों का मनोबल घटाने के लिए जान-बूझकर किया गया प्रयास है। उन्होंने कहा कि यह कदम, खासकर चुनाव से पहले संघीय ढांचे के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। यह पूरी तरह असंवैधानिक और पूरी तरह अस्वीकार्य है।
बनर्जी ने ट्वीट किया कि राज्य (पश्चिम बंगाल सरकार) की आपत्ति के बावजूद भारत (केंद्र) सरकार का पश्चिम बंगाल में सेवारत 3 आईपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने संबंधी आदेश आईपीएस कैडर कानून 1954 के आपातकालीन प्रावधानों और ताकत का दुरुपयोग है। गृह मंत्रालय ने कहा कि आईपीएस कैडर कानून के अनुसार विवाद की स्थिति में राज्य की बजाय केंद्र के आदेश या फैसले को वरीयता दी जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम केंद्र द्वारा राज्य प्रणाली पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण की अनुमति नहीं देंगे। पश्चिम बंगाल विस्तारवादी और अलोकतांत्रिक ताकतों के आगे नहीं झुकेगा। बनर्जी का बयान पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए एक पत्र को सार्वजनिक किए जाने के कुछ ही मिनट बाद आया है। (भाषा)