मराठा आंदोलन : 2 मिनट में जानिए आखिर क्यों नाराज हैं मराठा...

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मराठा आंदोलन करीब एक दशक पुराना है। ये समुदाय नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग रहा है। इनका कहना है कि इनके समुदाय का एक छोटा तबका ही सत्ता और समाज में ऊंची पैठ रखता है। ज्यादातर लोग बेहद गरीबी में जी रहे हैं। पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने आरक्षण देने का फैसला लेते हुए विधेयक को विधानसभा में पास कर दिया था। पर सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग आयोग से मराठा समाज की आर्थिक-सामाजिक स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है, जिसके बाद ही कोई फैसला संभव है।

 
आखिर साइलेंट मार्च निकालने वाले मराठा क्यों भड़के हुए हैं?
दरअसल मराठा समुदाय सरकार के रवैए से नाखुश है। हालिया हिंसा की वजह राज्य सरकार की एक घोषणा है, जिसमें कहा गया है कि सरकार जल्द ही 72 हजार सरकारी नौकरियां के लिए आवेदन निकालेगी। मराठा समुदाय चाहता है कि इस भर्ती अभियान से पहले उनको आरक्षण मिल जाना चाहिए। इसे लेकर प्रदर्शन शुरू हुए। औरंगाबाद जिले में एक व्यक्ति ने नदी में कूदकर जान दे दी। इस घटना के बाद आंदोलन उग्र हो गया है।

 
राज्य सरकार का क्या रुख है?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि वह आरक्षण मुद्दे पर मराठा समाज से बातचीत के लिए तैयार हैं। उनकी सरकार आरक्षण देने के लिए वचनवद्ध है, लेकिन मामला कोर्ट में होने से उसके हाथ बंधे हैं।

 
फिर क्या मुश्किल है?
राज्य में 32 प्रतिशत आबादी मराठों की है। इतने बड़े तबके को नाराज कर सत्ता में बने रहना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत सीमा के पार जाकर आरक्षण देना संभव नहीं है। अगर ओबीसी निर्धारित 27 प्रतिशत कोटे में ही मराठों को शामिल करने का जोखिम लेती है तो ओबीसी आंदोलन शुरू हो सकता है।

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