गुवाहाटी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ अपनी सारी शत्रुता भूल गया, लेकिन पड़ोसी देश ने ऐसा नहीं किया।
पूर्वोत्तर में आरएसएस के स्वयंसेवकों की बैठक को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि जब तक हिन्दुत्व फले-फूलेगा, तब तक ही भारत का अस्तित्व बना रहेगा। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में चुनाव से कुछ दिनों पहले संघ प्रमुख ने यहां बैठक को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि संघर्ष हुआ। पाकिस्तान का जन्म हुआ। भारतवर्ष 15 अगस्त 1947 से ही पाकिस्तान के साथ शत्रुता भूल गया, जबकि पाकिस्तान अब तक नहीं भूला। हिन्दू स्वभाव और दूसरे के स्वभाव में यही अंतर है। भागवत ने कहा कि मोहनजोदड़ो, हड़प्पा जैसी प्राचीन सभ्यता और हमारी संस्कृति जिन स्थानों पर विकसित हुई, अब वे पाकिस्तान में हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने (भारत से) क्यों नहीं कहा कि भारत का सबकुछ यहीं पैदा हुआ, ऐसे में हम भारत हैं और आप दूसरा नाम अपनाइए। संघ प्रमुख ने कहा कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा और इसकी बजाय वे भारत के नाम से अलग होना चाहते थे, क्योंकि वे जानते थे कि भारत के नाम से ही हिन्दुत्व आ जाता है। हिन्दुत्व यहां है इसलिए यह भारत है। भागवत ने कहा कि अपनी विविधता के बावजूद भारत के एकजुट रहने की वजह हिन्दुत्व है।
उन्होंने कहा कि हमारे यहां हिन्दुत्व पर आधारित आंतरिक एकता है और इसीलिए भारत एक हिन्दू राष्ट्र है। आरएसएस के सरसंघचालक ने कहा कि भारत इस विश्व को मानवता का संदेश देता है।
उन्होंने कहा कि दूसरे बात करते हैं, लेकिन उनके आचरण में यह नहीं होता है। भारत अपने आचरण से दूसरों को शिक्षा देता है। भारतवर्ष के इस स्वभाव को विश्व हिन्दुत्व का नाम देता है। भागवत ने कहा कि अगर भारत के लोग हिन्दुत्व की भावना को भूल जाते हैं तो देश के साथ उनका संबंध भी खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के विघटन के बाद बांग्लाभाषी बांग्लादेश भारत में शामिल क्यों नहीं हुआ, क्योंकि वहां हिन्दुत्व की भावना नहीं है। अगर हिन्दुत्व की भावना भुला दी गई तो भारत टूट जाएगा। भागवत ने यह भी कहा कि गोरक्षा और गोनिर्भरता वाली कृषि भारतीय किसानों के संकट का एकमात्र समाधान है। उन्होंने अपील की कि लोग इस दिशा में काम करें। (भाषा)