वानी करीब डेढ़ महीने पहले शोपियां में आतंकवादियों के खिलाफ एक अभियान के दौरान शहीद हो गए। इसके कई हफ्ते गुजरने के बाद महजबीन कहती हैं वानी का प्यार और उनका निडर होना, मुझे हर पल हिम्मत देता है कि मैं अपने दोनों बच्चों को अच्छा नागरिक बनाऊं।
शांतिकाल के सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘अशोक चक्र’ से वानी को सम्मानित करने की घोषणा के बाद महजबीन ने कहा, ‘जब मुझे बताया गया कि वह नहीं रहे, मैं रोई नहीं थी। मेरे भीतर एक ताकत थी जिसने मुझे आंसू बहाने नहीं दिए।’ उन्होंने कहा, ‘वह मुझसे बहुत प्यार करते थे। वह मेरे नूर थे। वह हमेशा आसपास के लोगों को खुश रखना और उनकी समस्याओं को सुलझाना सिखाते थे।’
उन्होंने कहा, ‘शिक्षक होने के नाते, मैं राज्य के लिए अच्छे नागरिक विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हूं। युवाओं को सही दिशा दिखाना मेरा लक्ष्य है। मैं इसकी प्रेरणा अपने पति से लेती हूं..वह दुनिया में सबसे अच्छे थे।’ दोनों की मुलाकात और बाकी जिन्दगी के बारे में बात करते हुए महजबीन ने बताया, ‘हम स्कूल में मिले। पहली नजर का प्यार था। वह बहुत अच्छे पति थे। हमेशा हमारी रक्षा की।’