वकील मनोज जैन ने बताया कि अस्पताल पहुंचने पर उन्होंने वहां के कर्मियों मुकेश और सुखलाल से व्हीलचेयर मांगा, लेकिन दोनों ने कहा कि यह नहीं है। जैन ने दावा किया कि इसके बाद उन्होंने उन दोनों से अपना स्कूटर वार्ड तक ले जाने की अनुमति ली।
लौटते समय पिता-पुत्र को वार्ड प्रभारी देवकीनंदन ने रोक लिया और स्कूटर की चाबी ले ली। इसके बाद, वकील ने अस्पताल प्रशासन के कुप्रबंधन तथा व्हीलचेयर नहीं मिलने को लेकर हंगामा किया। मामला पुलिस तक पहुंच गया।
चश्मदीदों के अनुसार दिन में करीब डेढ़ बजे यह घटना हुई, जब वकील की पोशाक में जैन अपने बेटे को स्कूटर पर बिठाकर एलीवेटर की ओर गया। वह तीसरी मंजिल पर लिफ्ट से बाहर निकला और स्कूटर को सीधे वार्ड में ले गया। इस दृश्य को मरीज, आंगुतक, अस्पताल कर्मी और डॉक्टर जिसने भी देखा, हैरान रह गया।
इसके बाद कई अन्य लोगों ने भी अपने परिजनों को दोपहिया वाहन पर अस्पताल में वार्ड तक लाने-ले जाने की अनुमति मांगी। उसके बाद, हंगामा होने लगा। तब अस्पताल चौकी पुलिस वहां पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया।